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रमेश छन्द (डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल')

     🎍रमेश छंद🎍
विधान~ [नगण यगण नगण जगण]
( 111  122  111  121 )
12 वर्ण, 4 चरण
[दो-दो चरण समतुकांत]

मुदमय  तारा  मधुरिम  रूप|
प्रियतम है तू  सुखद अनूप||
तन - मन चाहे प्रतिपल नेह|
हृदय  बसा है सुरमय स्नेह||

©डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

Comments

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