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Showing posts from November, 2025

छठ मइया के अरघ के बेला

"छठ मइया के अरघ के बेला"  उगह सूरज देव, अर्घ्य हम दिहनी,   छठ मइया तोहरा चरण चुमे धानी।   गऊ-भैंसवा सब अंगना निहारे,   पूरब से आवे रौशनी प्यारे।   छठ मइया के अरघ के बेला,   गावे सभे माई-बाबू गोदेला।   छठ मइया तोहर महिमा न्यारी,   सुख-शांति दे ललना के पियारी।।   सूपवा में ठेकले ठेकुआ-फल,   गंगा जल में नहइले सरल।   चार दिन के व्रत में मन लगाई,   मइया के किरपा से लाज बचाई।।   भोर भइल, उगे लाल सूरजवा,   घरे-घरे गूंजे छठ गीतवा।   कंचन जल में परे अंजोरी,   मइया सुनली सबकी गोरी।।   छठ मइया की किरपा भारी,   सदा रहे सुख-शांति हमारी।। © डॉ. राहुल शुक्ल 'साहिल'