🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍 अमृत-ध्वनि छंद विधान अमृत-ध्वनि कुण्डलिया की तरह ही दोहे से प्रारंभ होता है और दोहे का चतुर्थ चरण इसका पंचम चरण बनता है पर...
जितना भी चाहता हूं, सब मिल ही जाता है, अब दुख किस बात का ॽ