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Showing posts from April, 2019

गुरुदेव की बधाई

प्रिय, अनुज साहिल व अनुजवधू को पावन वैवाहिक वर्षगांठ की बहुत-बहुत बधाईयां संग आशीष🌿💐🍁☘🍀🌷🌹🌸🍫🍫🍫🍫🧁🍹🍸🍰🥣🥣     ®℅ चौकड़िया ℅® वैवाहिक वर्षगाँठ की भाई........                       होवै खूब बधाई। प्रिय साहिल जीवन साहिल संग,                        जैवैं दूध मलाई। सारी खुशियाँ मिलें जगत कीं,                      कृपा करें रघुराई। खिली रहे जीवन की बगिया,                    घर-बाहर अमराई। "सोम"सदा सुख सम्पत इन घर,                 नित नूतन अधिकाई। 🌿💐🌸🌹🌹🌹🍁☘🍀🌷🌷🌷🌷 आ. डॉ. राहुल साहिल दा श्री को एवं आ. कान्ति प्रभा भाभी श्री को विवाह वर्षगाँठ की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ     विमोहा छंद  शुक्ल आधार की| है प्रभा प्यार की|| साथ साथी मिला| फूल सा है खिला|| वर्ष है हर्ष का| नेह आदर्श सा|| कान्ति पा दर्श की| नैन के स्पर्श की|| नेह की देह की| कान्ति है गेह की|| झूम के चूम के| देखती घूम के|| कर्म के संग में| धर्म के संग में|| प्रेम की पा गली| साथ में जो चली || 🖊🖊🖊🖊🖊🖊 दिलीप कुमार पाठक "सरस"

विमोहा छन्द

  🎍विमोहा छंद🎍 शिल्प:- [रगण रगण(212 212), दो-दो चरण तुकांत, 6 वर्ण] मोर  की   मोरनी| चाँद  की चाँदनी|| राग  की  रागिनी| मेल  है  कामिनी|| मस्त  तू  बोलना| बात  को तोलना|| भाव  हो  नेह  हो| प्रेम हो  स्नेह  हो|| मान हो  गान हो| प्रीत हो भान हो|| बोध हो  गोद हो| मीत हो मोद हो|| रात  का  द्वंद  हो| प्रेम का  छंद हो|| रीत  हो  गीत हो| शब्द की जीत हो|| रंग  हो  संग हो| रास हो ढ़ंग हो|| रूप की धार हो| मोहिनी नार हो|| © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'   🎍विमोहा छंद🎍 शिल्प:- [रगण रगण(212 212), दो-दो चरण तुकांत, 6 वर्ण] प्रेम की  कामना| स्नेह की साधना|| मोहनी  तारिका| सोहनी सारिका|| रूप  है   राधिका| प्रीत की साधिका|| संग   है  संगिनी| ताल  है  रागिनी|| © साहिल

जीवन की रीत (डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल')

नफरत की  मिट्टी में  पौध नफरत का ना बोना, जो प्रेम  आपसे करते हैं उनके रिश्ते ना खोना| माना संघर्षों की बगिया में स्वारथ के रिश्ते मिलते हैं, पर बीज, प्रेम का बोने से कंटक भी हँसते मिलते हैं| कंटक को पीछे छोड़, खुशियों का पुष्प खिलाएँगें| मधुर -मधुर सौगातों से जीवन बगिया महकाएँगे| जो भूल गए है हमको, उनकी करना परवाह नही, हर प्राणी में परमेश्वर है, जीवन की रीत बनाएँगे| © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

प्रसाद क्या है ! डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

प्र  ~ प्रभु के सा ~ साक्षात द  ~  दर्शन आत्मा की तृप्ति ही प्रसाद है| ईश्वर की अर्चना, अराधना, पूजन एवं साधना में भगवान को सूक्ष्म रूप से अर्पित भोज्य पदार्थ/ भोग को प्रसाद कहते हैं, जिसका कुछ अंश ग्रहण करना ही शरीर में ऊर्जा एवं सात्विकता प्रदान करता है|  © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

बरवै छ्न्द

           🍁  बरवै-छंद 🍁 (विषम पदों में 12, सम पदों में 7 मात्राएँ) चरणान्त 121 रखना है । मन मन्दिर बसते हैं,जय सियराम| बिगड़े सब होते हैं, पूरन काम|| जीवन  मेरा   तारो,  तारनहार | संकट  सारे   काटो, पालनहार||  © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

दुर्मिल सवैया छन्द (सरस)

छंद दुर्मिल सवैया सगण(112*8) तुमसे मन छंद अमंद मिला, तिहुँ लोक सदैव प्रताप रहे| तुम जीत गये हम हार गये, हँसके हम तो चुपचाप रहे| मन मान समान नहीं कुछ भी, सब  अन्दर  अन्दर नाप रहे| तन की मन की गति जीवन की, सुखधाम  धरा  मम  आप  रहे| 🖊🖊🖊🖊🖊🖊🖊🖊 दिलीप कुमार पाठक "सरस"

कुछ दोहे 'साहिल' की कलम से

१) नारी का सम्मान हो, नारी देवी रूप| सकल साधना मान है, नारी रूप अनूप|| २) सत्य सनातन धर्म है, हिन्दू की पहचान| मन वाणी अरु कर्म से, राम नाम सम्मान|| ३) सुख दुख में जो साथ हो, वही कहाए मित्र| संकट में  व्यवहार से, बने  हृदय पर  चित्र|| ४) चार चरण की ताल हो, भाव मधुर मकरन्द| मन  मन्दिर में प्रेम का, लिख दो प्यारा छंद|| ५) तमस देश का हट रहा, मन की यही पुकार| स्वच्छ सदा सरकार हो, सबकी  है हुंकार|| © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

संजीवनी वेलफेयर सोसायटी के स्नेहिल साथियों के स्वभावानुसार दोहा लेखन

*ऋषि~* बेताबी सह ना सकूँ, मीत तके है नैन| सौ बिमारी घेर रही, तन मन है बेचैन|| *गिरीश~* देश प्रेम की भावना, भजते निशदिन ईश| हमसफर नही चाहिए, मन में बसे गिरीश|| *डॉ० विशाल~* खाने के शौकीन हैं, मन के है गम्भीर| बहुत दिनों में ही मिले, देखो विकट शरीर|| *डॉ० द्विवेदी~* दवा दुआ भण्डार है, अतुल ज्ञान के वीर| सबके दिल में है बसे, बाबा है गम्भीर|| *श्रवण शुक्ल~* तन का भार बढ़ाइए, मन हो निश्चल नीर| गलत काज ना सह सके, कहकर मारे तीर|| *मिथलेश~* दवा दुआ दारू मिलै, जीवन है संग्राम| समय पे अपना काम करो, कह गय हैं श्री राम|| *सतीश~* दुनिया लगती गोल है, साहब जी के बोल| आँख नशीली कह रही , शिव भक्ति अनमोल|| *तनुज~* कम्प्यूटर सा तेज है, तन मन जिसका वीर| मोबाइल पे नाचता, देखो मनुज शरीर ||    *डॉ० पीयूष~* लम्बे चौड़े हो गये, बचपन माँगै रोज| सब के प्यारे मित्र हैं, सदा निरखते भोज||

प्यार गजल और मन की बातें

अधूरा है संसार मधुप्रीत के बिना, अधूरा है संसार  संगीत के  बिना, मन मन्दिर में बस जाए जब कोई, अधूरा है संसार मनमीत के बिना| © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल' दिवाना दिल बिखर कर मोतियों सा टूट जाता है, कोई हमदम गले का हार जब रूठ जाता है| 'साहिल' कारण तो आप ही जाने प्रभु जी, गुरुवर की कृपा महान है| हृदय कोश से निकले अद्भुत, व्याकुल विकल उद्गार है| सर्जन अनुपम है सुखद सरल, घटता  जीवन  संताप  है | पल - पल गुरुवर की धारा से, मिटता कालुष जग पाप है|    © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल' बंशी धुन है प्रीत की, मनभावन है रात| दीपक जगमग लग रहे, मोर पंख सौगात|| सब रंगो की रंगोली, जैसे पंख मयूर| बंशी की धुन मोह ले, राधा मन भरपूर|| दीप जलाओ प्रीत का, रंगोली हो द्वार| तन मन में हो भावना, शुद्ध सरल सहकार||                          उदासी कभी जो पास आओ तुम गले से मैं लगा लूँगा, सुखद अनुभूतियाँ मिलकर पलों में  मैं जगा लूँगा, सुलगती प्रीत की रातें बिताई कैसे हैं दिलबर, मिली तुमसे मुहब्बत जो उदासी मैं मिटा लूँगा| कार्यकुशल  हो दृढ़  हो  दक्ष, तन-मन सुन्दर स्वच्छ पुनीत,

विश्व जनचेतना ट्रस्ट का कार्यक्रम (19/03/2019)

🎍🎍  कार्यक्रम समीक्षा  🎍🎍 🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷         विश्व जनचेतना ट्रस्ट 'भारत' आनलाइन काव्य सम्मेलन (19/03/2019) सायं ~6 बजे नवल किरण सी जग गयी, नमन बने अब आस| सरस रंग में रंग लो, सम्मेलन है पास; चलो सब मिलकर गायें, खुशी के गीत सुनाये | _अनुज नीतेन्द्र सिंह परमार 'भारत'  की अटूट सद्भावना एवं सजग प्रयासों से, प्रिय भाई दिलीप कुमार पाठक 'सरस' जी के सतत मार्ग दर्शन में, आ० ममता सिंह राठौर 'मीत' जी के सुमधुर विचारों से, होली के रंगीन अवसर पर आनलाइन काव्य सम्मेलन की रूपरेखा बन सकी |_ आ० सन्त गुरु शैलेन्द्र खरे 'सोम' जी के आशीर्वचन रूपी प्रेरक शब्दों से आनलाइन कार्यक्रम एवं सभी साथियों को संबल प्राप्त हुआ| आ० कौशल कुमार पाण्डेय 'आस' जी का आशीर्वाद भी समय- समय पर हमें प्राप्त होता रहा है, आशा है कार्यक्रम में अपनी अनमोल उपस्थिति से कार्यक्रम में रंग भरेगें| कार्यक्रम अध्यक्ष आ० सुशीला धस्माना 'मुस्कान' दीदी जी के स्नेहिल शब्दों से हमें हमेशा सशक्त संबल मिलता है और नवाचार करने को आतुर हो जाते है

कहो कुछ बात तो दिलबर

कहो कुछ बात तो दिलबर, तुम्हारी  याद  आती  है | तेरी यादों के ख्वाबों से, मुझे अब नींद आती है|     ख्वाब़ होगा हकीकत में, यही  उम्मीद  रखता  हूँ, सनम आगोश की जिन्दा, सदा  तस्वीर रखता  हूँ| दर्द  गहरा  जुदाई   का, भरेगा  प्रेम  से  दिलबर, मिलेगा  स्नेह  जो  तेरा, मैं खुद को ही बदल लूंगा| यकिं आता नही है सामने तस्वीर तेरी ही, मुहब्बत़ की कहानी में तकदीर तेरी ही|      © साहिल लफ्ज़ आपके हरदम प्रेम की बात तो करते, दिल की गहराईयों से मिलन फरियाद तो करते|                    © साहिल

विश्व जनचेतना ट्रस्ट का कार्यक्रम (19/03/2019)

🎍🎍  कार्यक्रम समीक्षा  🎍🎍 🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷         विश्व जनचेतना ट्रस्ट 'भारत' आनलाइन काव्य सम्मेलन (19/03/2019) सायं ~6 बजे नवल किरण सी जग गयी, नमन बने अब आस| सरस रंग में रंग लो, सम्मेलन है पास; चलो सब मिलकर गायें, खुशी के गीत सुनाये | _अनुज नीतेन्द्र सिंह परमार 'भारत'  की अटूट सद्भावना एवं सजग प्रयासों से, प्रिय भाई दिलीप कुमार पाठक 'सरस' जी के सतत मार्ग दर्शन में, आ० ममता सिंह राठौर 'मीत' जी के सुमधुर विचारों से, होली के रंगीन अवसर पर आनलाइन काव्य सम्मेलन की रूपरेखा बन सकी |_ आ० सन्त गुरु शैलेन्द्र खरे 'सोम' जी के आशीर्वचन रूपी प्रेरक शब्दों से आनलाइन कार्यक्रम एवं सभी साथियों को संबल प्राप्त हुआ| आ० कौशल कुमार पाण्डेय 'आस' जी का आशीर्वाद भी समय- समय पर हमें प्राप्त होता रहा है, आशा है कार्यक्रम में अपनी अनमोल उपस्थिति से कार्यक्रम में रंग भरेगें| कार्यक्रम अध्यक्ष आ० सुशीला धस्माना 'मुस्कान' दीदी जी के स्नेहिल शब्दों से हमें हमेशा सशक्त संबल मिलता है और नवाचार करने को आतुर हो जाते है