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Showing posts from July, 2018

हनुमान चालीसा का मैनेजमेंट ज्ञान

कई लोगों की दिनचर्या हनुमान चालीसा पढ़ने से शुरू होती है। पर क्या आप जानते हैं कि श्री  हनुमान चालीसा  में 40 चौपाइयां हैं, ये उस क्रम में लिखी गई हैं जो एक आम आदमी की जिंदगी का क्रम होता है। माना जाता है तुलसीदास ने चालीसा की रचना बचपन में की थी। हनुमानजी को गुरु बनाकर उन्होंने प्रभु श्रीराम को पाने की शुरुआत की। अगर आप सिर्फ हनुमान चालीसा पढ़ रहे हैं तो यह आपको भीतरी शक्ति तो दे रही है लेकिन अगर आप इसके अर्थ में छिपे जिंदगी  के सूत्र समझ लें तो आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिला सकते हैं। हनुमान चालीसा सनातन परंपरा में लिखी गई पहली चालीसा है शेष सभी चालीसाएं इसके बाद ही लिखी गई। हनुमान चालीसा की शुरुआत से अंत तक सफलता के कई सूत्र हैं। आइए जानते हैं हनुमान चालीसा से आप अपने जीवन में क्या-क्या बदलाव ला सकते हैं…. *शुरुआत गुरु से…* हनुमान चालीसा की शुरुआत *गुरु* से हुई है… श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। *अर्थ* - अपने गुरु के चरणों की धूल से अपने मन के दर्पण को साफ करता हूं। गुरु का महत्व चालीसा की पहले दोहे की पहली लाइन में लिखा गया है। जीवन में गुरु नहीं है

मेघवितान छन्द (डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल')

🌸 मेघवितान छंद 🌸 विधान~ [सगण सगण सगण गुरु] (112 112 112   2 10 वर्ण, 4 चरण [दो-दो चरण समतुकांत] करुणाकर कोमल काया| कमलासन रोचक माया|| सुखसागर  सोम सहारा| तजिए भव बंधन सारा|| शिव  शंकर  सुंदर  लागै| जग जीवन जंगम जागै|| मन मोहक मोहन गाऊँ| सुर  सागर संगम पाऊँ|| © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

ईद के चाँद...

तपन

तपन न बढ़ाओ सजन, जेठ  की  दुपहरी में, अगन न लगाओ बलम, जल्दी आओ सहरी में| रोज रोज याद तेरी, मुझको सताती है, सूरज की गर्मी सी, बढ़ती ही जाती है| रात के  सुकून  में, मिलन याद आता है, सुबह पुनः विरहा में, सूरज चढ़ जाता है| तन की तपन को, मैं सह तो लेती हूँ, रूह की तपन तो, सह भी न पाती हूँ| होती  न  रात  तो, ये दिन भी न होता, मिलकर सनम तू, दूर  यूँ  न  होता| © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

कुछ लघुकथा (इन्दु शर्मा शचि द्वारा लिखित)

     लघु कथा     💐 विश्वास 💐 निर्मला कान्हा  की भक्त थी। वो सिर्फ कान्हा को ही अपना इष्ट मानती थी।  कान्हा की पूजा अर्चना में अपनी खुशियाँ ढूंढती रहती थी।  एक संत मिले उन्होने निर्मला से कहा, सुबह से शाम तक तुम अपने सारे कर्म कान्हा को अर्पण कर दिया करो। और एक गृहणी का कर्तव्य जो है उसे निभाओ। झाड़ू कटका करते समय यह सोचो मैं कान्हा के मंदिर की सफाई कर  रही हूं। खाना बनाओ, तो सोचो कान्हा के लिये प्रसाद बना रही हूँ । हर काम कान्हा के लिये करो,तुम्हारी पूजा सेवा स्वतः होती रहेगी। निर्मला वैसे ही करने लगी। उसके नकारात्मक  विचार सकारात्मक होने लगे। निर्मला साधारण  परिवार  से थी। एक दिन उसे पैसे की सख्त जरूरत थी। पर इन्तजाम हो नही रहा था। उसने कान्हा से अर्जी लिख कर कान्हा के सामने रखदी। दूसरे दिन मामा का लड़का  आया,और बोला ये कुछ रुपये  आपको देने थे। पर मैं भूल गया था। मेरी पत्नी ने कल याद  दिलाया।  निर्मला समझ गई पत्नी के रूप में मेरा कान्हा अपना काम कर गया। विस्वास में बहुत शक्ति होती है। जयश्रीकृष्ण इन्दू शर्मा शचि तिनसुकिया असम जैसी करणी वैसी भरणी नैना और प्रदीप

मलयज छंद (साहिल)

     मलयज छंद शिल्प- 8 लघु प्रति चरण चार चरण समतुकांत। पल - पल मुदमय| मम जग सुखमय|| पहर - पहर   गुन| हृदय  बहर  सुन|| मिलन सहन धुन| जतन  गहन चुन|| तुम हिय  हलचल| सुर लय बल चल|| अधर  कमल सम| मधुर  विमल सम|| दरश  सुखद मिल| सकल नवल खिल|| सरगम    मधुरिम| रुनझुन रिमझिम|| चमक दमक शुचि| परम  सरस  रुचि|| पुन- पुन लहकत| प्रियतम  चहकत|| निशदिन  महकत| तन- मन बहकत|| © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

लघु कथा (बीभत्स.. रस) डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

बस उससे मिलकर यूँ लगा कि सारी दुनिया की खुशी मिल गयी, धारा नाम था उसका, उम्र 25 वर्ष, गोरा रंग, गोल चेहरा, भरा हुआ शरीर, मन को रोमांचित कर देने वाली मनमोहक सूरत को देखकर मैं मूरत बन जाता था,  कुछ ही पल में वो दूर चली गयी, जैसे छिन गया कुछ जिन्दगी से, हृदय से करूणा के भाव निकले, वियोग की धारा बह चली| संयोग में वियोग खलता चला गया, शारीरिक और मानसिक सामन्जस्य विखंडित होने लगा| आत्मा अनचाही घटनाओं से भयभीत होने लगी, रात में बुरे- बुरे स्वप्न पीछा करते थे| बस उम्मीद यह थी कि वो एक न एक दिन आएगी और मुझे जरुर अपनाएगी| हाल खबर लेने के सारे माध्यमों को अपनाने के लिए हाथ - पाँव - दिमाग चलाता रहा, परंतु मन अजीब सी सम्भावनाओं और अपेक्षाओं के बीच गोते लगाता रहता था| लगभग छह माह बाद मेरे एक मित्र के द्वारा खबर मिली कि  वो लड़की धारा मुम्बई बम विस्फोट में सपरिवार समाप्त हो गयी |  हृदय और आत्मा बिन आँसुओं के पिघल गयी,  मन बीभत्स.. में डूब गया| ऐसा भयानक दर्द यदि ईश्वर दें तो सहने की अपार क्षमता भी दें| कई माह तक उस दर्द से उबर नही पाया था मेरा हृदय, उद्वेलित भावनाएँ और मन का विचार|      कुछ सोचने

परिवार (साहिल)

🙏🌺🌹👨‍👩‍👦‍👦👨‍👩‍👦‍👦🌹🌺🙏             परिवार मन की अभिव्यक्ति, हृदय के उद्गार एवं स्वस्थ विचार हम जिनसे व्यक्त कर सकें, जो हमारे जीवन को जन्म से सँवारकर परिपक्वता तक पहुँचा सकें, वो परिवार है| जिसमें एक - एक व्यक्ति माला के मोती समान है, मोतियों को जोड़ने वाली  रिश्तोंं की डोर  प्रेम स्नेह, सौहार्द, विश्वास और समान्जस्य से बनी होती है| सामन्जस्य गड़बड़ाने पर डोर कमजोर हो जाती है | एक - एक मोती की अपनी ही अहमियत है,  कोई कम नही, कोई ज्यादा नही, सभी का महत्व बराबर है| ऐसा अगर वास्तविक जिन्दगी में आत्मसात किया जाए तो रिश्ते में खटाश, और मनमुटाव की स्थिति न बने और न ही रिश्ते टूटे, न बिखरें|  मान सम्मान और सहकारिता तो अति आवश्यक है ही परन्तु हर रिश्ते को पौधें की तरह सँजोना सँवारना पड़ता है तब जाकर परिवार रूपी सामाजिक निकाय संस्कार, नैतिकता, संस्कृति एवं सहिष्णुता का उदाहरण बनता है| श्रमशीलता, पुरुषार्थ एवं सेवा परिवार को सुगढ़ एवं संगठित बनाती है|  कष्ट और वेदनाओं से निपटने हेतु पारिवारिक शक्ति का संबल एवं सहयोग सर्वोपरि है| सुख और दुख को साथ - साथ भोगना आनन्द में बढ़ोत्तरी क

द्वन्द समास (वैयाकरण भगत जी)

माता - पिता अर्थात माता और पिता में द्वन्द्व समास तो है ही,  पर "विलोम" नही है, विलोम शब्द अलग प्रकरण है | द्वन्द्व समास वहाँ होता है , जहाँ दो या दो से अधिक शब्द जोड़ा बनाते हैं (अर्थात् एकल इकाई के रूप में अभिव्यक्ति देते हैं , पर द्वन्द्व भी प्रमुखत: पाँच प्रकार का है~ १. इतरेतर द्वन्द्व ~ जहाँ जोड़े में प्रयुक्त शब्द परस्पर पूरक हों अर्थात् समस्थिति पर रहकर जोड़ा बनाते हों| ( जिनमें से किसी एक का चुनना संभव ही न हो , वही परस्पर पूरक कहलाते हैं) जैसे ~ माता-पिता, बहन-भाई... २. वैकल्पिक द्वन्द्व ~  जहाँ जोड़े में प्रयुक्त शब्द परस्पर विलोमर्थी हों | जैसे ~ पाप-पुण्य, आज-कल... ३. समाहार द्वन्द्व ~ जहाँ जोड़े में प्रयुक्त शब्द अपने समान ही अन्यार्थ को प्रकट करते हों | जैसे ~ कूड़ा-करकट =कूड़ा, करकट इत्यादि | (कूड़ा =गीला अवशिष्ट या कचरा, करकट = सूखा अवशिष्ट या कचरा) ४. सार्थक-निरर्थक ~ एक पद अर्थयुक्त व दूसरा पद अर्थहीन हो | जैसे ~ चाय-वाय, गाड़ी-वाड़ी... ५. द्विसंख्यक ~ दोनों पद संख्यावाची हों | जैसे ~ पच्चीस (२५=बीस और पाँच) 🙏 जय-जय

सफेद दाग से छुटकारा

मिशन हेल्दी इण्डिया आनलाइन कार्यक्रम की रूपरेखा

मेरा पत्र  ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 ➖➖➖➖➖➖ Hello Team MHI .... 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 नमस्कार  टीम मिशन हेल्दी इंडिया  मैं श्रवण शुक्ला  (परियोजना निदेशक ) (Project Director) आप सभी सहयोगियों का हृदय से स्वागत एवं अभिनंदन करता हूँ। जैसा कि आप सभी को जानकारी है कि संजीवनी वेलफेयर सोसायटी इलाहाबाद उo प्रo स्वास्थ्य परियोजना *मिशन हेल्दी इंडिया*  का संचालन वर्ष 2013 से प्रदेश के 15 जिलों के 187 ब्लाकों के 2350 से ज्यादा गांवों और शहरी क्षेत्रों के 1200 वार्डों में होमियोपैथी के माध्यम से निःशुल्क स्वास्थ्य सेवायें प्रदान कर रही है। हमारा 47 B.H.M.S. चिकित्सकों, 260 वलेंटियर्स और 1580 सदस्यों का एक छोटा सा परिवार है । संस्था की सेवाओं को कम समय और संसाधनों में देश के 70 फीसदी आबादी की पहुँच में तेजी से पहुँचाने के लिये संस्था  परियोजना मिशन हेल्दी इंडिया की ऑनलाइन स्वास्थ्य सेवायें प्रारम्भ करने जा रही है जिसका नाम रखा है MHI Online. इसमें हमारे विशेषज्ञ चिकित्सकों से निःशुल्क परामर्श के साथ हमारे सहयोगी प्रतिष्ठानों से दवाईयों की खरीद पर । हमारे अन्य सहयोगी स्वास्थ