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Showing posts from April, 2018

सुमति छन्द ('साहिल')

    सुमति छंद 111  212  111  122 सकल  साधना  सियवर धारौ| विकल  वेदना  दुख तम टारौ|| मधुर  कामना  मन सुख पाऊँ| भजन राम का निशदिन गाऊँ|| © डॉ० राहुल शुक्ल  'साहिल सरल भाव से  भव भय भागे| गहन ज्ञान का अनुभव जागे|| नमन  वंदना  हरपल ध्याऊँ| हृदय हार जीवन सुख पाऊँ|| © डॉ० राहुल शुक्ल  'साहिल' मधुर  भावना सब   मन होवे। तड़प   जाइये  जब  नर  रोवे।। जनम व्यर्थ ये नहिं सब खोवें। फल मिले वही जब तब बोवें।।              मुकेश शर्मा ओम सुमति छंद~111 212 111 122 कलम हाथ में अब गह लीन्हा| सरस काव्य को मन महुँ चीन्हा|| गुनत सोम पावन मन होता| रटत नाम सुन्दर शुचि स्रोता|| 🖊🖊🖊🖊🖊🖊🖊 दिलीप कुमार पाठक सरस     सुमति छन्द सरस गीत से मम मन झूमे| गुरुव प्रीत में  बरबस घूमे|| सरल सोम है गुरुवर प्यारे| सुगढ़ वंदना तन-मन धारे||      ©साहिल     सुमति छंद 111  212  111  122 प्रखर ओज से सब सुख पाएँ| विनय धीरता  अब मन भाएँ|| प्रनत  पाल हैं प्रभु सुख दाता| नमन राम जू चित धर ध्याता|| © डॉ० राहुल शुक्ल  'साहिल' सरस वंदना  मधुवन  लागे| प्रनय प्रीत से प्रियतम

मधुर/भावना

मजा मधुर ही लीजिए, जीत  बने मनमीत| आज समय है बोलिए, अपने हिय की प्रीत; प्रेम का गीत सुनाओ, मधुरिम बंशी बजाओ||           @ साहिल        मधुर विधा~दोहा मधुर मधुर मुस्कान है, मधुर मधुर से बोल| देख उसे बस डोलता, तन मन का भूगोल|| एक शराबी बन गया, देख नशीले नैन| देख न लूँ मैं जब तलक,आता है नहिं चैन|| एक अनोखी झील से, नयना गोलमटोल | लख मृगनयनी मोहिनी, तन मन जाता डोल|| हँसकर के संकेत से,अपने पास बुलाय| कहती है मुझको मधुर, मंद मंद मुस्काय|| दिलीप कुमार पाठक सरस तारे चमके  रात में, प्रीत  बढ़े  चहुँ ओर| मधुर भावना नेह से, सरस बने चितचोर||       डॉ० राहुल शुक्ल  'साहिल' भावना (चौपाई ) आप भावना रखना ऐसी। प्रभु दीवानी मीरा जैसी।। रोम रोम बस नाम पुकारे। आयेंगे वो द्वार हमारे।। हँसकर पीया विष का प्याला। मन में फेर रही थी माला।। जोगन लगती प्रेम में रानी। दुनिया जाने यही कहानी।। रेनू सिंह      मुक्तक शुद्ध रहे यदि भावना बढ़े प्रेम व्यवहार। स्नेहिल उर चाहता नहीं कभी मनुहार। मधुर मधुर बातें करो तज स्वारथ की बात, सत्य वचन यह मान लो हो सुंदर संसार।। कौशल कुमार प

नकली

नकली नेता का भाषण है, नकली बाबा सम्भाषण है, नकली मन में कुविचार है, नकली  माया  संसार  है| नकली दिल के जज्बात है, नकली वकील की बात है, नकली अब प्रेम कहानी है, नकली राजा  की रानी है| नकली  तेरा  व्यवहार  लगा, बस  झूठा  तेरा प्यार  लगा, नकली कलियुग की माया है, नकली सूरत  भ्रम काया है| नकली शिक्षा  बाजार है, क्यूँ  युवा  बेरोजगार  है, नकली लगती सरकार है, नकली  गले  का  हार है| नकली औरत का गहना है, साहिल का बस ये कहना है, नकली आडम्बर से निकलो, कर्म - धर्म  का दर्शन बदलो| © डॉ० राहुल शुक्ल  'साहिल'

मुक्तक

मुक्तक ~ 1222 × 4                तृष्णा मिटा दो मन कि तृष्णा को, मुझे राधा नजर आए| सुनोगे बात दिल की तुम, कभी बाधा न छू पाए| मिलेगी  चाहतें  तेरी सुखी  सौगात बन  करके| मिले जो प्रेम रसधारा, मिरा जीवन सँवर जाएँ| ©  डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'    करुणा 1222*4 बिछड़के यूँ मिरा दिलबर चला जब दूर जाता है| तड़पता छोड़ जाता और हो मजबूर जाता है|| दिलों से फिर वही करुणा निकलती आग बनकरके| कहूँ क्या हाल मैं दिल का लिए वो नूर जाता है||          🌷साहिल😟           संयोग        1222×4 कहूँ क्या हाल इस दिल का मुझे तो रोग लगता है| वही नाता  पुराना  सा  सही  ये योग  लगता  है| धड़कती  धड़कने  मेरी  वही  तारा दिखाती हैं| यही रब़ का  गजब़ देखो मुझे संयोग लगता है| © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'                झील        मुक्तक १२२२×४ पता भी ना चला मुझको दिवाना जग कहे सारा| निगाहों में बसी हरपल मुहब्बत की हँसी धारा| लहर झीलों कि देती है सुहानी शाम को दस्तक| उसी साहिल सहारे पे  चमकता सा दिखे तारा| © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

रंगी छन्द (साहिल/नैना)

◆रंगी छंद◆ विधान-रगण गुरु  ( 212  2 ) खोल  तारा| भेद   सारा|| बोल भी दो| मोल भी दो|| प्रेम     मेरा| है     सवेरा|| ओज भी दो| खोज भी दो|| रात  न्यारी| बात प्यारी|| बोल भी दो| तोल भी दो|| संग   गाओ| संग खाओ|| मीत  तू  है| प्रीत तू  है|| साधना  दो| धारणा  दो|| भावना  दो| कामना दो|| कामिनी तू| दामिनी तू|| यामिनी  तू| भामिनी तू|| जीत  है  तू| गीत  है  तू|| धन्य  है  तू| दिव्य है तू|| मालिनी  तू| शालिनी  तू|| धामिनी  तू| गामिनी तू|| © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'   ◆रंगी छंद◆ विधान-रगण गुरु  ( 212  2 ) भाग्य मेरा खेल तेरा हे विधाता प्राण दाता है बनाना साथ खाना देख लेना तू जमाना प्राण मेरे संग है रे झूमती हूँ चूमती हूँ फूल बेला है अकेला देखता है सोचता है है कराली देख काली कामिनी ये भामिनी ये ज्ञान में हो मान में हो भामिनी जो मानिनी जो मोहिता हो लोहिता हो यौवना का अंगना का म्यान सी हो ब्यान सी हो खोरनी सी मोरनी सी बोल ऐसी प्रेम जैसी कंठ डाले फूल माले गगन उपाध्याय"नैना"

प्रार्थना: मधुराष्टकम्

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏      प्रार्थना: मधुराष्टकम् अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसितं मधुरम्। हृदयं मधुरं गमनं मधुरं, मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।।1।। (हे कृष्ण!) आपके होंठ मधुर हैं, आपका मुख मधुर है, आपकी आंखें मधुर हैं, आपकी मुस्कान मधुर है, आपका हृदय मधुर है, आपकी चाल मधुर है, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है ।।1।। वचनं मधुरं चरितं मधुरं, वसनं मधुरं वलितं मधुरम्। चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं, मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।।2।। *आपका बोलना मधुर है, आपके चरित्र मधुर हैं, आपके वस्त्र मधुर हैं, आपका तिरछा खड़ा होना मधुर है, आपका चलना मधुर है, आपका घूमना मधुर है, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है ।।2।। वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुर:, पाणिर्मधुर: पादौ मधुरौ। नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं, मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।।3।। *आपकी बांसुरी मधुर है, आपके लगाए हुए पुष्प मधुर हैं, आपके हाथ मधुर हैं, आपके चरण मधुर हैं, आपका नृत्य मधुर है, आपकी मित्रता मधुर है, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है। ।।3।।* गीतं मधुरं पीतं मधुरं, भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम्। रूपं मधुरं

मधुर/भावना/तारा/रथोद्धत्ता छन्द

[4/6, 16:23] Dr. Rahul Shukla: *मधुर /भावना*     ∆ सुमति छंद ∆ विधान - नगण रगण नगण यगण ₹ (111 212 111 122) 2, 2 चरण समतुकांत,4 चरण मधुर  रागिनी  सुर लय गाए| करुण वेदना दुख तम जाए|| पहर बीतते तुम - बिन कैसे| गहन रात की  करवट  जैसे|| सकल नेह  की  सुखमय  काया| नयन  प्रेम  ही  निशदिन  पाया|| मुदित  हो गया  तन- मन  सारा| चमक यामिनी झिल-मिल तारा|| सुभग मोहिनी अब तुम आओ| नवल प्रीत की अलख जगाओ|| मिलन  मीत का मधुरिम लागे| सुखद नींद  से  प्रियतम जागे|| सरस भावना प्रियतम  प्यारी| सरल साधना सुखमय  नारी|| विरह धीर की कब तक ताकूँ| कबहुँ तो मिलो इत उत झाकूँ|| मिलन कामना तन-मन प्यासा| सकल स्नेह  से  झरत कुहासा|| शुभम प्रेम   है  शरण   सहारा| चमक  चाँदनी  मधुरिम  तारा|| छन्दमुक्त *भावना* भावना जगे तभी, साधना जगे तभी, राह में जो शूल हो, भक्ति पथ मूल हो| प्रेम भाव साथ हो, मित्र  का  हाथ हो, प्रीत की सौगात हो, सुकून भरी रात हो| भाव से ही मान है, नर नारी सम्मान है, भाव से सत्कार है, आपसी सहकार है|           *भावना*       _रथोद्धता छंद_ विधान~ [रगण नगण रगण+लघु गुरु]

स्वास्थ्य जानकारी (मिशन हेल्दी इंडिया)

[4/7, 12:12] Dr. Rahul Shukla: *क्या आप स्वस्थ हैं ???* १) क्या आप अपनी वास्तविक उम्र से कम दिखते हैं ? २)  क्या आपका शारीरिक व्यक्तित्व सामान्य है ? ३) क्या आपके चेहरे की रंगत लालिमायुक्त है ? ४) क्या आपकी मुख मुद्रा प्रसन्नचित है ? ५) क्या आपकी आंखों में जीवन की चमक है ? ६) क्या आप क्या आप सदैव स्वच्छ रहते हैं ? ७)  क्या आपका पेट ठीक रहता है ? ८) क्या आप को समय से अच्छी नींद आती है ? _यदि सभी प्रश्नों का उत्तर सकारात्मक है तो आप निश्चित ही स्वस्थ हैं, किंतु एक भी प्रश्न के उत्तर में यदि आपका उत्तर नकारात्मक है तो आप पूर्ण स्वस्थ नहीं है |_ [4/7, 12:25] Dr. Rahul Shukla: *"अस्वस्थता के लक्षण"* १) जिस व्यक्ति का चेहरा व आंखें कांतिहीन हों, आंखों के नीचे गहरे गड्ढे पड़े हो, उसे अस्वस्थ व्यक्ति कहा जा सकता है | २) अस्वस्थ व्यक्ति सदैव चिड़चिड़ा रहता है, उसकी बातें निराशापूर्ण रहती हैं| ३) अस्वस्थ व्यक्ति सदैव स्वयं को थका - थका महसूस करता है | ४) समय पर भोजन न करना, असमय सोना व असमय जागना भी अस्वस्थता के लक्षण हैं| [4/7, 12:28] Dr. Rahul Shukla: 🏌🏻‍♀🤺⛹‍♂🏋‍♂🤼