Skip to main content

Posts

Showing posts from March, 2018

सुमति छंद (साहिल)

    ∆ सुमति छंद ∆ विधान - नगण रगण नगण यगण (111 212 111 122) 2, 2 चरण समतुकांत,4 चरण मधुर  रागिनी  सुर लय गाए| करुण वेदना दुख तम जाए|| पहर बीतते तुम - बिन कैसे| गहन रात की  करवट  जैसे|| सकल नेह  की  सुखमय  काया| नयन  प्रेम  ही  निशदिन  पाया|| मुदित  हो गया  तन- मन  सारा| चमक यामिनी झिल-मिल तारा|| सुभग मोहिनी अब तुम आओ| नवल प्रीत की अलख जगाओ|| मिलन  मीत का मधुरिम लागे| सुखद नींद  से  प्रियतम जागे|| सरस भावना प्रियतम  प्यारी| सरल साधना सुखमय  नारी|| विरह धीर की कब तक ताकूँ| कबहुँ तो मिलो इत उत झाकूँ|| मिलन कामना तन-मन प्यासा| सकल स्नेह  से  झरत कुहासा|| शुभम प्रेम   है  शरण   सहारा| चमक  चाँदनी  मधुरिम  तारा|| © डॉ० राहुल शुक्ल  'साहिल'

राम स्तुति, वंदन रामेष्ट के लिए

[3/27, 11:43] Dr. Rahul Shukla: सभी मित्रों को पावन पर्व राम नवमी की अनंत शुभकामनाएँ हार्दिक बधाईयाँ~ जय सियाराम💐🍀🌺🌸👏👏👏👏👏👏 *∆∆∆इक्कीस छंदीय श्री राम-स्तवन∆∆∆* *1-◆शुभमाल छंद◆* शिल्प:- [जगण जगण(121 121), दो-दो चरण तुकांत, 6वर्ण प्रति चरण] सिया    भरतार। करें  भव   पार।। अनेक    प्रकार। करो     मनुहार।। ========== *2-◆कुसुम छंद◆* विधान~ [ नगण  नगण लघु गुरु] ( 111   111  1    2) 8 वर्ण,4 चरण दो-दो चरण समतुकांत] सिय  रघुपति भजो। सकल कुमति तजो।। जरत   जगत   सबै। कछुक  समय  अबै।। ============ *3-◆बुद्बुद छंद◆* विधान~ [ नगण जगण रगण] (111  121  212) 9 वर्ण,4 चरण दो-दो चरण समतुकांत] रघुपति  जू  निहारिये। गति अब तो सुधारिये।। नमन  करूँ  अधीन हूँ। सकल  प्रकार  दीन हूँ।। ============== *4-◆मानस छंद◆* विधान~ [नगण यगण भगण सगण] (111  122  211 112) 12 वर्ण,यति 6,6 वर्णों पर 4 चरण,दो-दो चरण समतुकांत। चरण पखारूँ,श्री रघुपति के। पटल उघारौ,मो जड़मति के।। भव भय टारौ, संकट हर लो। चरनन  मोहे, चाकर कर लो।। =================== *5-◆मनोरम छंद◆* विधान-प्रत