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Showing posts from February, 2018

कुछ पंक्तियाँ 'साहिल'

Our Book (Nandini) in National Book fare Allahabad

Our Book (Nandini) in National Book fare Allahabad ☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘ जनचेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति पंजी० २२६ बीसलपुर पीलीभीत द्वारा प्रकाशित *नन्दिनी* काव्य संग्रह की प्रति बिक्री हेतु नेशनल बुक फेयर इलाहाबाद में प्रदर्शित की गई है| राष्ट्रीय पुस्तक मेला इलाहाबाद में हमारी नन्दिनी के प्रदर्शन हेतु आप सभी को कोटि कोटि बधाई| 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

Some Qoutes

लेखन के सूत्र

   लेखन के सूत्र ♢ लिखने का प्रयास शुरु करते समय मैनें भाव पक्ष को सर्वोपरि मानकर मन को विषय पर एकाग्र करके तुकबन्दी/मात्राभार/आदि का ध्यान रखते हुए कविता/आलेख आदि लिखे गये सर्जन पर वरिष्ठ साहित्यकारों का उत्साहवर्धन मिलने से और लिखने की प्रेरणा का मार्ग खुलता गया| ♢ *भावपक्ष के बाद लेखन में शिल्प पक्ष पर भी यदि ध्यान दे दिया जाए तो रचना की गेयता बढ़़ जाती है|* ♢ शब्दों का चयन सर्वदा सरल व सकारात्मक हो तो अति उत्तम, शब्द से भाव स्पष्ट होता हो| ♢ अपने भाव और विषय से ईमानदारी कम से कम शब्दों में कर दी जाए तो कवियाएँ ऐतिहासिक हो जाती है, आलेख प्रसिद्ध हो जाते हैं| ♢ किसी भी प्रकार के लेख/आलेख/कविता और सबसे महत्वपूर्ण व्याकरणीय एवं टंकण शुद्धता अति आवश्यक है| डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

स्वामी जय जगदीश हरे (साहिल)

शब्द से कविता मिली , भाव की सरिता मिली, सरिता से समता बनी, समता से ममता बनी, ममता जगी नेह की, प्रेम तत्व  स्नेह की, स्नेह प्याला प्रेम का, मोहब्बत में नेम का, नेम की आराधना, शुद्ध  सरल साधना, सामाजिक सद्भावना, स्वच्छ बने भावना, भावना की कामिनी, चमचमाती दामिनी, सुन्दर सी शामिनी वियोग की गामिनी| ऊँ जय  जगदीश  हरे, स्वामी जय जगदीश हरे| स्वामी जय जगदीश हरे| कौशल जी खाके गाएं और घूमे, ड़ की जय बोलो, चंचल छाया जग झूमे, ञ की जय बोलो, टहनी ठूठे डगर है सूखी जीवन बिन गुरुवर बेकार, ढूंढ़ों सद्गुरु तो हो जाएगा उद्धार| ण की जय बोलो, तारा थिरके दिल में धड़कन  नमन करे, जय जय बोलो प्रभु की जय बोलो| प्यारा बोलै भगत गुरु, मधुरम जय बोलो, मधुरम रस घोलो| यामिनी राग लुभाए वश में हनको करती| सरस सरल बने हमरे,  उनकी जय बोलो| क्षमा याचना करके, सबको प्रणाम करूँ त्रुटि कोई हो जाए तो सब माफ करो|  ज्ञानी हम बन जाए गुरु की किरपा से| स्वामी जय जगदीश हरे| स्वामी जय जगदीश हरे| ड़ की जय जय ञ की जय जय ण की जय जय जय बोलो नमन करूं मैं, नमन करूं मैं नमन करूं मैं, माता का म

जनचेतना आवेदन पत्र

जनचेतना आवेदन ♦ जनचेतना सा० सां० स०, पंजि० २२६♦ पता~दिलीप कुमार पाठक सरस निवास मो0 दुवे निकट मंशाराम पीपल चौराहा, मालगोदाम रोड बीसलपुर, पीलीभीत, उ० प्र० 🙏💐  प्रवेशार्थावेदन 💐🙏🏻 परिवार की अनशंसा की गई~व्यक्ति विशेष................\फेसबुक\ट्विटर कब विचार बना............... पटल पर कोई परिचित.......... ÷÷÷÷÷÷÷÷ *स्ववृत्त* मूल नाम   ......... (अपनी फोटो भी साथ भेंजे) साहित्यिक नाम..... उम्र........ (जो आज की उम्र है).   जन्मतिथि...... माता का नाम  ........ पिता का नाम  ........ निवास स्थान  ( १. स्थायी). ........                          (२. अस्थायी, यदि अन्यत्र भी निवास हो)..... व्यवसाय  ........ व्हाट्सएप नंबर ........ अन्य वैकल्पिक फोन नंबर ..... * संस्था के किस-किस पटल से जुडना चाहते हैं~१. मुख्य पटल २. छन्दशाला ३. ग़ज़लशाला ४. व्याकरणशाला ५. .. * संस्था को किस रूप में सहयोग कर सकते हैं ~ १. विमर्श २. योजना ३. तकनीकी ४. अन्य... * साहित्य की विधा जिसमें रुचि \ अनुभव हो -- * साहित्यिक उपलब्धियाँ (यदि हों तो)  -- * साहित्य से जुड़ाव कैसे हुआ -- * साहित्य से जु

मरहटा छंद (सोम जी /भगत जी)

       मरहटा छंद [ २९ मात्राएँ  प्रति चरण, क्रमश: १०, ८, ११ वीं यति | पहली - दूसरी यति समतुकान्त| चरणान्त में गुरु लघु (21) , चार चरण समतुकांत |] 🍃🍃🍃🌷🌷🌷🍃🍃🍃 निज भौम सुपावन, जीवनुदावन, सबहुँक बिधि हितकार | सौं  नित  जय  गाओ,  मंगल  पाओ,  बार  बार  शतबार | सब तजहुँ प्रलापा, लौकिक  ब्यापा, चिन्तन रत बलिहार | कहु जग जय भारत, पाप  बिदारत, सतत  रहे  जयकार || 🌸🌸🌸💧💧💧🌸🌸🌸 ©भगत     मरहटा छंद शिल्प~[10,8,11 ]मात्राएँ ,इसी प्रकार यति।चरणान्त में गुरु लघु(21),चार चरण तुकांत। कलु कलुष निकंदन,दशरथनंदन,                          कौशिल्या  के  लाल। सन्तन हितकारी , अवधबिहारी,                          मानस   मंजु मराल।। वंदहुँ तव चरणा,भवभय हरणा,                         सेवत सकल भुआल। गावहुँ  गुन  ग्रामा ,पूरण-कामा,                         सुंदर "सोम" कृपाल।।                          ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

निश्चल/नील छंद (सोम गुरुदेव)

     निश्चल छंद विधान~ [23 मात्राएँ 16,7 मात्राओं पर यति, चरणान्त 21] श्रीहरिवल्लभ शशिशेखर भव,गिरिजानाथ। त्रिपुरांतक प्रभु प्रमथाधिप हवि,नाऊँ  माथ।। शिवशंकर    शाश्वत   गंगाधर,   दीनदयाल। महाकाल    भूतेश्वर     शम्भू,  सोमकृपाल।।                                ~शैलेन्द्र खरे"सोम"        नील छंद विधान~[(भगण×5)+गुरु ] 211 211 211 211 211 2 16वर्ण,यति ,4 चरण दो-दो चरण समतुकांत। हे प्रभु  साधक  साधन  साधत हार गये। केवट  से  चरणोदक  पाकर  पार  भये।। गौतम  नार सुहावन  हो पिय पास चली। नित्य निहारत सो शबरी उर आस पली।।                            ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

मरहटा/ निश्चल छन्द

     निश्चल छंद विधान~ [23 मात्राएँ 16,7 मात्राओं पर यति, चरणान्त 21] तारा  तन  मनमोहक हिय में,  बढ़त हिलोर| नील मुकुट खग नाचत सुन्दर, लागत  मोर|| गरज गरज कर मेघा कहता, प्रीतम बोल| किरण बिखेरे सूरज धरती, भी  है गोल|| बेदी  गोल  सूरतिया  करती, है  मदहोश| हृदय पटल में संचारित हो,सब गुण कोश|| छन - छन बाजत पायल जैसे, सुरमय गीत| घड़ी मिलन  की आयी गाओ, सुख संगीत||    ©डॉ० राहुल शुक्ल साहिल           मरहटा छंद शिल्प~[10,8,11 ]मात्राएँ ,इसी प्रकार यति।चरणान्त में गुरु लघु(21),चार चरण तुकांत। सुरस रि के तीरे, धीरे - धीरे, हृदय जपत  जयकार| ये जीवन सारा, निज सुख हारा,नमन करूँ शतबार|| सुन्दर मनभावन, प्रियतम पावन, साहिल करे पुकार| मनमीत 'प्रीत' की, मधुर रीत की, कोमल सी मनुहार|| © डॉ० राहुल शुक्ल साहिल

भोला बचपन

   भोला बचपन  (लघु कथा) 🏃🏻🏃🏻👦🏻✏ अंश (७ वर्ष का पुत्र) भागते हुए आया और बोला, पापा मेरे लिए पेन्सिल लेते आइएगा, मैने आश्चर्य से घूरते हुए पूछा, जो दो दिन पहले मैं एक दर्जन पेन्सिल लाया था वो कहाँ गई, वो तो खत्म हो गई ! अंश ने बताया, मेरी तो आँखे ही बाहर निकल आयी, बड़े गुस्से में मैने पूछा कि पेन्सिल का क्या करते हो लिखते  हो, या खाते  हो, तभी कमरे में अंश की मम्मी कान्तिप्रभा जी का प्रवेश हुआ, उन्होनें बताया कि अंश ने अपने कक्षा के सभी बच्चों को जिनकी पेन्सिल छोटी थी, उन सबको अपनी सारी पेन्सिल बाँट दिया ! ज्यादा पूछने पर पता चला कि ऐसा अंश कई बार कर चुका है, कुछ हरकतें भी सुहानी लगती है, बच्चों के भोलेपन में भी कभी - कभी उपकार छुपा होता है | © डॉ० राहुल शुक्ल साहिल

सुनंदिनी छन्द / टमाटर

        सुनंदिनी छंद विधान~ [सगण जगण सगण जगण गुरु] ( 112   121  112  121  2) 13 वर्ण, 4 चरण [दो-दो चरण समतुकांत] सहकार  स्नेह  मन  में जगाइए| प्रभु - प्रेम की लगन तो लगाइए|| सुर  ताल  से सुजन को लुभाइए| मनु जन्म का वचन भी निभाइए||       🍅 टमाटर 🍅 टमाटर जैसे  गाल तुम्हारे, चमके चिकने लाल लाल, आँखों की सुन्दरता भाती, तुम हो जीवन का सुर ताल| जबसे देखा मैने तुमको, हाल  हुआ  मेरा बेहाल, तन सपनों में चमक रहा है, मिलन टमाटर बदले काल|      🍅 साहिल

भावना

   भावना भावना जगे तभी, साधना जगे तभी, राह में जो शूल हो, भक्ति पथ मूल हो| प्रेम भाव साथ हो, मित्र  का  हाथ हो, प्रीत की सौगात हो, सुकून भरी रात हो| भाव से ही मान है, नर नारी सम्मान है, भाव से सत्कार है, आपसी सहकार है|   🌹🙏साहिल🙏🌹

बेटी की विदाई

_बेटी की विदाई_ अब विदाई की घड़ी आई। बेटी हो रही है पराई।। भीगी आँखें आँगन सूना। माँ का दुख बढ़ता है दूना।। सुंदर तेरा रूप सलोना। तेरे बिन सूना हर कोना।। माँ की बातें सदा सँजोना। पिया के संग खुश ही होना।। तेरी बातें याद करूँगी। सारा जीवन खुशी रहूँगी।। मायके की अब चिन्ता छोड़ो। ससुराल संग नाता जोड़ो।। रोना मत तुम बेटी रानी। हर औरत की यही कहानी।। बेटी तो होती है न्यारी। साजन को लगती है प्यारी।। पीहर का घर खूब सजाना। बेटी बनकर फिर से आना।। © डाॅ. राहुल शुक्ल ‘साहिल'         🙏जय जय🙏

निश्चल छन्द

       निश्चल छंद विधान~ [23 मात्राएँ 16,7 मात्राओं पर यति, चरणान्त 21] 'तारा' तन मनमोहक हिय में,  बढ़त हिलोर|  नील मुकुट खग नाचत सुन्दर, लागत  मोर|| गरज - गरज कर मेघा कहता, प्रीतम  बोल| किरण  बिखेरे  सूरज  धरती, भी  है गोल|| बेदी  गोल  सूरतिया  करती,  है  मदहोश| हृदय पटल में संचारित हो, सब गुण कोश|| छन - छन बाजत पायल जैसे, सुरमय गीत| घड़ी मिलन  की आयी गाओ, सुख संगीत||        © डॉ० राहुल शुक्ल साहिल