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Showing posts from 2018

होम्योपैथिक पर आलेख

वर्तमान समय में आधुनिक चिकित्सा पद्धति (एलौपैथी) के दुष्प्रभाव से सामान्य जन काफी परेशान हैं| नित्य नयी - नयी बिमारियाँ पनप रही है, एण्टीबॉयोटिक का प्रभाव बेअसर हो रहा है| डेंगू बुखार, चिकनगुनिया, बर्ड फ्लू, जापानी दिमागी बुखार (इनसिफेलाइटिस), ब्रेन हेमेरेज, हृदय रोग, ब्लड प्रेशर इत्यादि कितनी ही जानलेवा बिमारियों से लोग मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं, प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र, अस्पतालों और दवाइयों का भण्डार होते हुए भी मनुष्य बीमारी से मर जाए, तो कहीं न कहीं आधुनिक चिकित्सा पद्धति पर प्रश्न चिन्ह लगता है ? सभी लोगों के लिए सोचनीय विषय है कि जिन चिकित्सकों एवं दवाइयों पर हम विश्वास कर रहे हैं वो दवाइयाँ काम नही कर रही| बिमारियों की स्थिति विकट होती जा रही है| लोगों की विभिन्न रोगों से आकस्मिक मृत्यु हो रही है ?                 जरुरत है केवल स्वास्थ्य जागरूकता कि ! सभी लोगों को स्वास्थ्य जागरूकता एवं बिमारियों से बचने की सामान्य एवं विशेष जानकारी अवश्य होनी चाहिए| सभी चिकित्सकीय पद्धतियों की जानकारी भी आवश्यक है| कौन सी दवा किस बीमारी को कितनी आसानी से ठीक कर सकती है, यह जानना - समझ

आके झटपट लो पुचकार (सरस)

विधा~गीत विषय~शक्ति आके झटपट लो पुचकार तू है जीवन का आधार, तेरा मुझ पर है अधिकार| मइया हो जाओ बलिहार, आके झटपट लो पुचकार|| भक्ति शक्ति के गीत पुनीत| छंदों  में  गूँजे  संगीत|| मात तिलक से मिलती जीत कुछ नहिं रहता फिर विपरीत|| माँ ममता में शक्ति अपार| जब तब देती थप्पड़ मार|| कान पकड़ आ करो सुधार| आके झटपट लो पुचकार || भूल  रहे  हैं  तेरे  मंत्र| हम सब होते जाते यंत्र|| कैसा आज प्रजा का तन्त्र| छल बल अपनों का षड़यंत्र|| मइया पकड़े पकड़े द्वार| नयना तुझको रहे निहार || मइया आओ शेर सवार| आके झटपट लो पुचकार || दया त्याग की तू है टेक| तुझसे विद्या और विवेक|| तू सत्कर्मों का अभिषेक| मइया तेरे  रूप अनेक|| तू है वैभव का भण्डार| मिलता तुझसे नेह अपार|| सुन लो मेरी करुण पुकार| आके झटपट लो पुचकार|| तुझसे राहें सब आसान| तू ही जाने शिशु विज्ञान || तुझसे बचपन आशावान| जग में तू ही एक महान|| होती तेरी जय जयकार| वंदन   करता  बारम्बार || मातु सरस की सुन मनुहार| आके झटपट लो पुचकार|| 🖊🖊🖊🖊🖊🖊🖊🖊 ©दिलीप कुमार पाठक "सरस"

दोहा (छुटपुटिया)

      मतदाता   मतदाता जन ही करे, जन प्रतिनिधि की खोज|     वादे सारे भूल कर, नित्य कर रहे भोज||         🏆 साहिल 🏆 विषय~रास विधा~दोहा 🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹 रास - आस  में है बसी, परम  प्रेम की  प्यास| तन - मन उजियारा लगे, मिले मीत जब खाश; जपो सब राधा - राधा, हरेंंगे  हरि  सब बाधा|| © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'     ~दोहा ~        🦁 वन्य जीव 🐵 वन्य जीव है सम्पदा, कुदरत का उपहार| पेड़ जीव की जिन्दगी, वनरोपण है  सार; वनो को यूँ ना काटो, जीव में खुशियाँ बाँटो||               © साहिल

मुक्तक का भण्डार

      🎊  सुहानी  🎊    (1222×4 मुक्तक) चली आओ सुहानी शाम तुम बिन है अधूरी सी|  मुहब्बत की  रवानी में  खिलें  बरसात  पूरी सी| मचल जाए  हृदय मेरा  सुनो इस प्रेम सिंचन से| कि कट  जाए  हमारे  बीच की वीरान दूरी  सी||   © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'      🎊  बेल/लता  🎊       (1222×4 मुक्तक) गले जब तुम लगाती हो उमंगे जाग जाती है| इशारे देखकर चाहत शराफ़त भाग जाती है| लता जैसे लिपटकर पेड़ को साथी  बनाती है| मुहब्बत़ की रवानी बेल सी चढ़ती हि जाती है|   © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'     स्वीकार    १२२२×४ दिलों की हलचलें समझो जरा तुम प्यार तो कर लो, बढ़ी है धड़कने सुन लो, जरा  इजहार  तो कर लो, वही अब  बन  गई  है जिन्दगी  की हमसफर मेरी, फसाने  प्रेम  के  मेरे  सही  स्वीकार  तो  कर  लो|      ❤ साहिल 🙏       मुक्तक का प्रयास     🏆 एक स्वर मेरा 🏆 २१२२ × ४ गीत के मधुरिम स्वरों में एक स्वर मेरा मिला लो, भाव के अद्भुत स्वरों में एक स्वर मेरा मिला लो, प्रेम से संगीत में सुर स्नेह की महिमा सजाकर, जिन्दगी के हर स्वरों में एक स्वर मेरा मिला लो| © डॉ० राहुल शुक्ल '

हिन्दी राष्ट्र भाषा

       🌷हिंदी राष्ट्रभाषा 🌷 हिंदी हमारे भाव, मन व हृदय की आत्माभिव्यक्ति का माध्यम है। भाषा की उच्चता पर ही मानव मात्र व समाज का कल्याण निर्भर है| हिन्दी मात्र हमारी मातृभाषा बनकर रह गई है, इसे वो सम्मान व ख्याति नहीं मिल रही जिसकी यह अधिकारिणीं है| हिन्दी भाषा को राष्ट्र भाषा बनाने के अभियान में कुछ निम्नलिखित बिन्दु सहायक हो सकें ऐसी कामना के साथ हिन्दी भाषा को आत्मसात करते हुये मुझे भारतेन्दु जी की कुछ पंक्तियाँ याद आ गयी। 'निज भाषा उन्नति अहे   सब उन्नति के मूल' ○ हिन्दी भाषा के उत्थान एवं अक्षुण्यता के लिए हमें अपने आप से ही शुरूआत करनी चाहिए| आपसी बोलचाल व लेखन में अपनी मातृभाषा का अधिकतम प्रयोग करना चाहिए| ○ केन्द्रीय एवं राज्य सरकार के विभागों, कार्यालयों के कामकाज में सम्पूर्ण रूप से हिन्दी का प्रयोग होना चाहिए| ○ सरकारी कार्यालयों के प्रचार, प्रसार, बैनर, आदि में हिन्दी भाषा का प्रयोग होना चाहिए| ○ प्रत्येक  कार्यालय, कार्पोरेट, और निजी संस्थानों में अधिकतम हिन्दी का प्रयोग होना चाहिए| ○ प्रत्येक सी•बी•एस•ई एवं आइ• सी• एस• ई• बोर्ड के विद्यालयों में भी हिन

माँ भारती के नाम पत्र

माँ भारती को हृदय से नमन करते हुए, अपनी आत्मिक अभिव्यक्ति कह रहा हूँ, माँ वागेश्वरी की कृपा से मेरा होम्योपैथिक का ज्ञान सम्पर्कियों को लाभान्वित कर रहा है और मेरा समुचित जीवकोपार्जन भी हो रहा है, परन्तु समाज की भयावह और विकृति स्थिति को देखकर मन विचलित हो जाता है तथा हृदय स्वार्थपरता एवं एकाकी जीवन को मजबूर करता है|     जहाँ भी देखता हूँ, मानसिक विकृति और नकारात्मकता ही नजर आती है, लोगों के आपसी सौहार्द व  सामनजस्य का अंत हो रहा है, परिवार विखण्डित हो रहे हैं, भाईयों का प्रेम, माता - पिता का सम्मान, गुरुओं का आदर शर्मशार हो रहा है| कलियुग चरम सीमा पर है| नारियों का निरादर, गौ माता एवं अन्य पशुओं की बेकदरी, समाज को असंतुलित कर रही है| जहाँ देखों वहाँ केवल प्रदूषण ही प्रदूषण, विकास के नाम पर सड़के और ईमारतें दिखती हैं, प्राकृतिक सम्पदा पेड़ पौधे समाप्त हो रहे हैं | मनुज का मनुज से व्यवहार नहीं दिखता, एक दूसरे से आपस में सहकार नही दिखता| लगे हुए हैं लोग केवल अपनी स्वारथ सिद्धी में, जन सेवा का भान नही, परेशान हैं सब देखो मिथ्या नाम प्रसिद्धि में |                    मनुष्य की मानस

बाल कविता 'साहिल'

    बाल कविता १) राहुल पप्पू  लल्लू मल्लू, भोलू बिट्टू और मकल्लू, जल्दी खाओ जल्दी सोओ, जल्दी उठकर करो पढ़ाई, आपस में न करो लड़ाई, प्रेम ज्ञान है  बड़ी कमाई| २) मात - पिता का कहना मानो, अपनी कमियाँ खुद पहचानो| अपनी प्रतिभा प्रखर बनाओ, जीवन पथ को सफल बनाओ| ३) तारों की है दमक दामिनी, चंदा की है चमक चाँदनी, रात बड़ी है काली - काली, सो जा, सो जा मेरे लल्ला, नींद कि रानी है मतवाली| © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

रमेश छन्द (गुुरु स्तुति)

🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊      ♧  रमेश छंद  ♧ विधान ~ [ नगण यगण नगण जगण] ( 111  122  111  121 ) 12 वर्ण, 4 चरण दो-दो चरण समतुकांत]                    *गुरु महिमा* गुरुवर   मेरे  भगत   महान। तन मन बंदौ अविरल मान।। हर  दिन देते  गुरुजन  ज्ञान। जग पथ होता मन सुखवान।। जग  तम के है रविसम काल। पल -पल है जीवन विकराल।। भव भय काटैं मिलत प्रकाश। बिन गुरु जैसे जग अवकाश।। सब जन पूजैं जग गुरु सोम। नमन करूँ मैं निशदिन ओम।। गुरु हर  लेते  सब दुख शोक। जग पथ पाऊँ सुगम अशोक।। ©  डाॅ• राहुल शुक्ल "साहिल"

शिव वन्दन (शैलेन्द्र खरे 'सोम' गुरुदेव)

🌸🍀🌺🌺🍀🍀🍀👏👏👏👏👏 ◆शिव-वंदन◆    किरीट सवैया में............. शिल्प~8 भगण(211×8) कुल 24 वर्ण हे  गिरजापति  श्री  शिवशंकर,                 सोहत है अति भाल सुधाकर। दीन दयाल  दया  करिये  अब,                  दोष सभी मम नाथ क्षमाकर।। आप  त्रिलोचन  संकट मोचन,                   तेज रमें तन  कोटि प्रभाकर। राखत"सोम"विलोम गले बिच,                   ये मन है तिनको पद चाकर।। *मदिरा सवैया* में....... शिल्प~[211*7+2/यति 10,12] आदि अनंत अलौकिक हो,              प्रलयंकर शंकर काल हरे। कालन के तुम काल कहे            बलवंत महा जग पाल हरे।। हे गिरजापति देव सुनो           सब जोड़ खड़े करताल हरे। "सोम"ललाट भुजंग गले,             करुणाकर दीनदयाल हरे।। *मत्तगयन्द सवैया* में ....... शिल्प~[7 भगण+2गुरू/12,11पर यति] शेष दिनेश सुरेश जपें नित,             शारद  गावत  गावत  हारी। वेद पुराण भरें जिनके यश,             संत अनंत भजें सुखकारी।। देख रहे सचराचर ही सब,            केवल आस जगाय तिहारी। "सोम"ललाट सजे जिनके वह,            देवन   के  अधिदेव  पुरा

मनहरण घनाक्षरी (इंतजार) डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

🏆  मनहरण घनाक्षरी 🏆 शिल्प : प्रति चरण 31 वर्ण (8,8,8,7 वर्णों में पँक्तिबद्ध) चरणान्त 12 सोहत सूरत खूब, मधुर मिलन मस्त, मन मोर मचलत, मंगल बहार है। नयन हिरन सम, काजल चमक  चम, ओंठ कमल पाखुरी, जियरा में भार है। गर्दन सम गागरी, हँसी खिलत साँवरी, कमरिया लचकत, चढ़त खुमार है। तन  मन  तड़पत,धक धक धड़कत, मिलन को तरसत,तेरा  इंतजार  है।  © डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

आ० बिजेन्द्र सिंह 'सरल' जी की उत्कृष्ट समीक्षा

आज पटल पर आयी हुई रचनाओं की समीक्षा का लघु प्रयास                वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् बढ़िया प्रस्तुति बधाईयाँ आदरणीया । मुक्त सृजन की विधि अपनाई।                           सुन्दरता से कलम चलाई । । वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् बढ़िया प्रस्तुति बधाईयाँ बहन जी मोहन के गुण गाती जातीं ।                        जीवन धन्य बनाती जातीं ।। वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् अद्भुत सृजन किया है बधाईयाँ आदरणीय भगत सहिष्णु गुरुवर          नित्य नमन गुरुवर करते हैं ।                                 सबके मन में घर करते हैं ।।                               शीतल करती इनकी वानी ।                         हनुमत की महिमा पहचानी।।           वेद पुराणन की ले गाथा।                   शिवानन्द जी अपने साथा।।                             सीख दे रहे हैं संस्कृति की ।                                      चुनीं सूक्तियाँ भी संस्कृत की।। निशदिन रखते कोमल वाणी ।                               शीतलता है जग कल्याणी।।              राखी की मह