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Showing posts from December, 2017

इन्द्रव्रजा छन्द

       इन्दवज्रा छंद शिल्प~समवर्ण, चार चरण  प्रत्येक चरण में दो तगण एक जगण और अन्त में दो गुरु /११ वर्ण उदाहरण: - S S I  S S I  I S I  S S तू चाह मेरी बन जा सहारा| तेरे  बिना है  मन  बेसहारा|| आओ बनाएँ सुर गीत प्यारा| गाएँ बजाएँ धुन 'प्रीत' 'तारा'|| कोई कहानी हम भी बनाएं| पूरी जवानी तुम  पे लुटाएँ|| मेरी उदासी कुछ बोलती है| सारे पुराने पट  खोलती है|| © डॉ० राहुल शुक्ल साहिल

सायली विधा

विधा सायली दर्शन देदो मोहे ओ मेरे कान्हा प्यासी मोरी अखियाँ तुम बिन दिन नही बीते नही बीते यह रतियाँ देखो मोहे छेड़त संग की सहेली करत यही बतियाँ नैना नीर बहे तरस रही तेरे दर्शन  को सखियाँ प्यारा मोहे लागत नंद का लाला मोरे  मन बसिया। इन्दू शर्मा शचि तिनसुकिया असम कान्हा बंशी की धुन से पागल करता मुझे कान्हा तू उद्धार करो मेरे दुख दर्द सब मिट जाए कान्हा जीवन सँवरे मेरा बस तेरे दर्शन से मोहन प्यारे ||           साहिल

रथोद्धता छन्द

  विषय-◆रथोद्धता छंद◆ विधान~ [रगण नगण रगण+लघु गुरु] (212 111 212  12) 11वर्ण, 4 चरण [दो-दो चरण समतुकांत] कामिनी हृदय हार हो रही| रागिनी सकल नेह दो सही|| भावना सरल सी बुनो यहीं| चाहतें सफल मेल है कहीं|| रोकना  चमन  शोर हो रहा| बैर से  अमन  चैन  है बहा|| दामिनी करुण मान ताकती| मोरनी तरुण  दिव्य नाचती|| बोलिए अब  गुहार  चाहिए| शीघ्र ही मनु  पुकार चाहिए|| मानसी  गुन  विचार लाइए| साथियों वचन तो निभाइए|| ©डॉ० राहुल शुक्ल साहिल

पर्वत/ गिरि /पहाड़ (साहिल)

    पर्वत/ गिरि/ पहाड़ खूब बखान किया सभी ने, अपना - अपनी भाषा में, पर्वतराज हिमालय महिमा वर्णित है अभिलाषा में| गोवर्धन की सुनी कहानी, मदरांचल की पर्वत माला, एक बना था छत्र साहसी, दूजा ने सिन्धु मथ डाला| जम्बू दीप  सुमेरु से  लाए, जब बूटी महाबली हनुमान, पर्वत पर पाए संजीवनी वो जिसका सभी करे गुनगान| पर्वत से हम साहस सीखे, निष्ठा अपनी गिरिराज बनें, लगन  परिश्रम कौशल से, जीवन का सब काज बने| © डॉ० राहुल शुक्ल साहिल

स्वागता छन्द

       ∆ स्वागता छंद ∆ विधान ~ [रगण नगण भगण+गुरु गुरु] ( 212  111  211   22) 11 वर्ण, 4 चरण [दो-दो चरण समतुकांत] भोर की लहर है सुखकारी| प्रेम की बहर  है  मनुहारी|| गीत है तरुण सी सुर धारा| नेह से सुखद हो जग सारा|| फूल की महक सा उजियारा| प्रेम की लगन में सुख सारा|| रात तो  जब  कटे  बिन तेरे| गीत की  धुन  बने सुर घेरे || रात की  अगन न  तड़पाए | मीत से सजन को मिलवाए|| प्रीत में अब  भरो गुन सारा | बोल दो वचन ही कुछ तारा|| ©डॉ० राहुल शुक्ल साहिल

जनचेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति पंजी० २२६ की वार्षिक गतिविधियाँ

जन चेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति  पंजी० २२६ की वार्षिक गतिविधियाँ  ⭕ १२ जून को समिति द्वारा प्रथम आनलाइन काव्य सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें ५० से अधिक साहित्यकारों को वरदा अलंकरण सम्मान पत्र प्रेषित किया गया| ⭕ इलेक्ट्रानिक मीडिया साहित्य  में प्रगति हेतु १२ जुलाई को हिन्दी भाषा उन्नयन के क्रम में   आनलाइन  "जय जय हिन्दी" आभासी समूह (वाट्सएप समूह) का नामकरण एवं "जय - जय हिन्दी व्याकरण शाला"  का उद्घाटन किया गया | जिसमें निरन्तर हिन्दी भाषा  का गूढ़तम अध्यापन जयपुर राजस्थान के सुप्रसिद्ध वैयाकरण आ० भगत सहिष्णु जी द्वारा अनवरत जारी है| ⭕  ०३ सितम्बर २०१७ को राष्ट्र प्रेम  पर आयोजित आनलाइन कार्यक्रम में "राष्ट्र नाद अलंकरण" प्रदान करने हेतु  _'सारस्वत सम्मान समारोह'_  का आयोजन किया गया | जिसमें ५० (पचास) साहित्यकारों को सम्मानित किया गया| ⭕  ०५ सितम्बर २०१७ को शिक्षक दिवस  पर आयोजित आनलाइन प्रतियोगिता में विजेताओं को  अलंकरण सम्मान पत्र प्रदान किया गया| ⭕ २० अक्टूबर २०१७ को गोवर्धन पूजा के अवसर पर आयोजित प्रतियोगिता में प्रतिभागियों को &

पर्वत/ गिरि/ पहाड़ (जय जय हिन्दी)

[12/24, 10:42] ‪+91 99350 40018‬: पर्वत राज है ताज शीश का सागर पॉव पखारा है, एक से बढ़ कर एक यहां पर सुंदर सुलभ नजारा है। अपने हाथों से प्रकृति ने जैसे इसे सवारा है, सारी दुनिया से बढ़ कर यह भारत देश हमारा है।। सन्तोष कुमार 'प्रीत' [12/24, 11:57] ‪+91 81096 43725‬:     मुक्तक पर्वत राज बने गिरधारी,अंगुली गोबरधन धारी हैं। जिसके नीचे खड़े सखा सब,मित्र मधुर बल धारी हैं।। भारत में जो रचना रच गई,और कही ना रच पाये। पर्वत जो मान बढ़ाया,मोर मुकुट बंशी धारी हैं।। - नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "    छतरपुर  (  मध्यप्रदेश   )   सम्पर्क :- 8109643725 [12/24, 14:05] नवीन कुमार तिवारी: पहाड़ आईये पहाड़ चले , कुछ तो  ऊपर चले । शुभ यात्रा कर चले , पयर्टन करिए ।। हरी भरी  पर्वत ये ,  चक्करदार घाटी ये । ऊपर नीची वादी ये , पयर्टन देखिये ।। पहाड़ो पर तराई , सुरम्य नजर आई । कूप से गहरी खाई , पयर्टन सीखिए ।। ठंडी सर्पीली नदियाँ , घुमावदार वादियाँ । पाषाण पे चढ़ाइयाँ, पयर्टन  चलिए ।। नवीन कुमार तिवारी , [12/24, 16:24] ‪+91 84219 68089‬: *मदिरा सवैया* शिल्प~[२११*७+२/यति १०,

पर्वत विषय पर रचनाओं की समीक्षा (साहिल की कलम से)

   आज की त्वरित समीक्षा समीक्षक ~ डॉ० राहुल शुक्ल साहिल विषय ~ पर्वत/ गिरि/ पहाड़ दिनांक ~ २४/१२/२०१७ ⭕   *आ० सन्तोष कुमार प्रीत जी* वाहहहहह बेहतरीन  मुक्तक भारत की अमूल्य धरोहर हिमालय पर्वत को शब्द माला पहनाकर महिमा गुंजित की है| 🙏🌺🌺🙏🙏 उत्तम भाव बढ़िया शैली टंकण कुछ कमजोर ⭕   *आ० नीतेन्द्र सिंह परमार जी* बेहतरीन मुक्तक है अनुज गोवर्धन पर्वत का सहारा भगवान श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों को वर्षण से बचाने के लिए किया था| यहाँ  तक सोच पहुँचना एक उम्दा रचनाकार की पहचान है| अति उत्तम भाव बढ़िया  शैली शिल्प ~ तीसरी पंक्ति चौथी से सम्बन्ध रखें तो अति उत्तम टंकण ~कहीं, गोवर्धन ⭕   *आ० नवीन कुमार तिवारी जी* वाहहहहह बेहतरीन प्राकृतिक वातावरण सुरम्य पहाड़ी वादियों में पहुँचाती आपकी रचना उत्कृष्ट है| अच्छी  शैली शिल्प ~ पंक्तियों के अंत में तुकान्त और बढ़िया हो जाए तो अति उत्तम रचना बनें| टंकण ~ पहाड़ों ⭕ *आ० जितेन्द्र चौहान दिव्य जी* वाहहहहह अप्रतिम शानदार बेहतरीन अति उत्तम भाव शानदार थन्द सर्जन मदिरा सवैया में, वाकई मातु पिता के सम्मुख पर्वत भी बौना है, सर्वोत्तम भाव ह

अमिताभ बच्चन (आ० इन्दु शर्मा दी )

महा नायक अमिताभ बच्चन बंधी  हुई  "जंजीर "है, मुह  से  निकले "शोले" "कभी खुशी कभी गम" "नसीब" अपना खोले। यह "लाल बादशाह है" या  है " राम  बलराम" "शहंशाह " मजबूर" है। "देशप्रेमी"नमक हराम" "जादूगर" कभी  कभी" "सराबी" "अग्नि पथ" "आज काअर्जुन" खाये, "गंगा की सौगंध" सच। "काला पत्थर"कालिया" "दिवार" फाँदे  "बेसरम" "गंगा जमुना  सरस्वती, बने   अमिताभ बच्चन। कौन बनेगा  करोड़पति, "अंधा कानून है" त्रिसूल। "बागबाँ  में   खिल गये देखो " आनंद " केफूल। "चुपके  चुपके" सुहाग" हैअब "आखिरी रास्ता" "कसमें वादे"कालिया" "डोन" मुहब्बते" चाहता। इन्दू शर्मा शचि तिनसुकिया असम

नाखून पर दिलीप कुमार पाठक सरस जी का हास्य

विषय-नाखून हास्य का आनंद 😀🙏🏻😀 छोटी रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म के उस पार, एक महिला को घेरे खड़े थे मुस्तण्डे चार | एक पुलिसवाला, ! एक दाड़ी वाला, एक मुछमुण्ड, एक का पता नहीं, उसका पेट था, या कुण्ड, फिलहाल वह झुण्ड, आकर्षण का केन्द्र था, कुण्ड का नाम बिजेन्द्र था, महिला से कह रहा था कि तुम्हारे नाखून बड़े प्यारे हैं, इन्हीं नाखूनों की बजह से हम दिल हारे हैं | आज तक तुम्हारे लिए ही हम कुँआरे हैं|| महिला बोली मुँह नोच लूँगी तुम्हारा | कोई रिश्ता नहीं तुम्हारा हमारा| मैं तो मुछमुण्ड ,साथी जी की दीवानी थी, पर ये तो मेरे नाखूनों से चिड़ते थे, ये तो मेरे उन बालों को प्यार करते थे, जो उस समय सरस जी के लिए झड़ते थे| आपको क्या पता कि मेरे नाखूनों ने ही बालों को बचाया है, बालों में पलने वाले जुँओं को नाखूनों ने पकड़ पकड़ कर जब तब निपटाया है| डॉ0 साहिल ने तो बेवजह दवा बता बता कर मेरा दिमाग खाया है|| मेरे नुकीले नाखूनों की किस्म ही निराली है, जाने कितनों की भोली भाली सूरत बिगाड़ी है, यकीन न हो तो निश्चल जी से पूछ लो| ये लो देखो! मेरे नाखूनों ने ये आज किसकी नोची मूछ लो

नाखून पर किए गए सर्जन की समीक्षा (साहिल)

_त्वरित समीक्षा का प्रयास_ दिनांक - 22/12/2017 समीक्षक - डॉ० राहुल शुक्ल साहिल विषय - नख / नाखून ⭕ आ० कौशल कुमार पाण्डेय आस जी, वाहहहहह उत्तम उत्कृष्ट भाव, कुण्डली छन्द प्रतीत हो रहा है, हिरण्यकश्यप वध में श्री हरि विष्णु के सिंहावतार में नख द्वारा हिरण्यकश्यप वध की सुध दिलाता आपका सर्जन सदैव की तरह उत्तम है| 🍁🍁🍁💅🏻💅🏻💅🏻💅🏻🌹🍁🍁🍁 ⭕  आ० इन्दु शर्मा जी वाहहहहह बेहतरीन भाव निकाला है आपने नाखून ने सकारात्मक और नकारात्मक दोनों उपयोग को कम ही शब्द में वर्णित कर दिया| जय जय बधाई हो आपको| 💅🏻💅🏻💅🏻💅🏻💅🏻💅🏻💅🏻💅🏻💅🏻 ⭕ आदरणीय दिलीप कुमार पाठक सरस जी   की तारिफ़ के शब्द तो साहिल के पास भी नही है, वाहहहहह वाहहहहह वाहहहहह वाहहहहह बेहतरीन अप्रतिम जबरदस्त कमाल जानदार 💅🏻😡🍁😃😀🙏💅🏻😃😡🍁 हास्यपूर्ण चम्पू गुम्फन में कोई भी अंत तक बंधा ही रहेगा, पूरा पढ़े बिना कोई भाग नही सकता, मुंह से आह निकाल बिना कोई भाग नही सकता| सोता हुआ भी जग जाएगा, आपकी रचना पढ़कर गूंगा भी बोल उठेगा, अंधा भी नाचेगा, दुखी भी हँसने लगेगा| सभी के नाम को समाहित करती हुई आपकी रचना व

जय जय विशेषांक विमोचन सम्मेलन का भाव भरा आमंत्रण

🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 *सम्मेलन सम्मान हो, जय जय की  है आस|* *बीसलपुर कवि भोज में, साथ रचें इतिहास||* हे ! सुधिजन होता सब आओ| मधुर गीत संग - संग में गाओ| काव्य  वचन के श्रोता बनकर| अपनी प्रतिभा  प्रखर बनाओ| *सरस आस साहिल करें, कवियों से अरदास|* *यक निमंत्रण आपको, देता  आज  प्रयास||* 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 *कार्यक्रम ~ 21-01-2018 बीसलपुर, पीलीभीत, समय सुबह 10:00 से सायं 5:00 तक* *[अखिल भारतीय साहित्य समागम]* *[जय जय हिंदी विशेषांक विमोचन]* *[प्रतिभा  सम्मान समारोह]* *[जनचेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति की सम्मिलित संगोष्ठी]* आप सभी साथियों को बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ सूचित किया जाता है की [जनचेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति २२६]  *जय जय हिन्दी विशेषांक* का विमोचन करने जा रहा है। *दिनांक 21/01/2018 (21 जनवरी)*  को तारा मैरिज बैंकट लान, निकट सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज, पीलीभीत रोड, बीसलपुर में निर्धारित है। कार्यक्रम स्थल का निकटतम रेलवे स्टेशन *बरेली* है, वहाँ से करीब 45 किलोमीटर दूरी पर बीसलपुर है, सटेलाइट बस स्टेण्ड से आपको सीधा बस या टेक्सी या अन्य सा

नाखून

🍁 नाखून 🍁 😃💅🏻💅🏻💅🏻💅🏻💅🏻💅🏻💅🏻💅🏻💅🏻😃 खून नही नाखून में, फिर भी बढ़ता जाता है| मालूम है कि धार है,फिर भी बढ़ाया जाता है| पैदा हुए शिशु में भी होता है नाखून, मर जाने के बाद भी बढ़ता है नाखून| नश्वर इस संसार में मिट जाती है शरीर, प्रकृति का वरदान है मरता नही नाखून| जीव-जन्तु मानव सबसे बढ़कर है नाखून, जीवन मरण से मुक्त हैं ईश्वर है नाखून| प्रेम से प्रीतम को सहलाता है नाखून, बुरे वक्त में आबरू बचाता है नाखून| न जाने किस धातु का बनता है नाखून, बढ़ता है,कटता है, फिर से बढ़ जाता है| शारीरिक सेहत को दिखलाता है नाखून, मचलती चमड़ी को खुजलाता है नाखून| हाथों की  सुन्दरता का एक  अंग है नाखून, लगा के पालिश रंग-बिरंगी जँचता है नाखून| ©डॉ० राहुल शुक्ल साहिल

हायकु

      हायकु कोई तो मिले, हमसफर बने दुनिया खिलें| जल्दी से आए महफिल सजाए घर बसाए| बात अधूरी कर दो अब पूरी रहे न दूरी| नदी की धारा मिल जाए सहारा भोर का तारा|    🌹साहिल 🌺 हायकु हौसला रख राम रस चख प्रभु को लख| घर बसेगा जीवन सँवरेगा भाव भरेगा| रिश्ता निभाऊं मधुर गीत गाऊं संग संग नचाऊं|        🌹साहिल 🌺

Dr. Rahul Shukla "Sahil"

Some Qoutes

अनुकूला छन्द

◆अनुकूला छंद◆ विधान~ [भगण तगण नगण+गुरु गुरु] ( 211 221 111  22 11वर्ण,,4 चरण दो-दो चरण समतुकांत] हे  अविनाशी  भव-भय हारी। आन  पड़ा हूँ शरण  तिहारी।। मस्तक देवा  पुनि-पुनि नाऊँ। "सोम"सदा मैं पद रज पाऊँ।।              ~शैलेन्द्र खरे"सोम"       *अनुकूला छंद* हे निशि बीती उडगन रीती| हे मधु पीती अलिनिहु जीती || प्रात सुहावे अब लख आली | फूल उठी है हर फुलवारी ||      *विश्वेश्वर शास्त्री "विशेष"* [12/17, 15:07] ‪+91 86507 32824‬:   ◆अनुकूला छंद◆ विधान~ [भगण तगण नगण+गुरु गुरु] ( 211 221 111  22 11वर्ण,,4 चरण दो-दो चरण समतुकांत] मातु  भजूँ मैं चरण तुम्हारे, गावत माता जग अब सारे, वंदन  आओ हम सब गायें, ज्ञान मिले जो यह फल पायें, साहस पाऊँ पथ पर माता, हंस सवारी गुण यह गाता, आश जगाना यह सिखलाना, पावन राहें अब   दिखलाना,             .....भुवन बिष्ट [12/18, 14:13] ‪+91 86507 32824‬: *◆अनुकूला छंद◆* विधान~ [भगण तगण नगण+गुरु गुरु] ( 211 221 111  22 11वर्ण,,4 चरण दो-दो चरण समतुकांत] प्रभु मुझे साहस तुम देना, दोष  हमारे अब हर लेना, आप स