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Showing posts from November, 2017

समीक्षा डॉ० राहुल शुक्ल साहिल

♦♦♦♦♦♦♦♦♦ "जनचेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति (पंजी० 226)" द्वारा संचालित  "जय-जय हिन्दी" समूह दिनांक~22/11/2017 (बुधवार) विषय~ सूक्ति समीक्षक- डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल (इलाहाबाद) सूक्ति या सुभाषित (सु + भाषित = सुन्दर ढंग से कही गयी बात) ऐसे शब्द-समूह, वाक्य या अनुच्छेदों को कहते हैं जिसमें कोई बात सुन्दर ढंग से या बुद्धिमत्तापूर्ण तरीके से कही गयी हो| सुवचन, सूक्ति, बढ़िया बात, सुंदर उक्ति, अनमोल वचन, आदि शब्द भी इसके लिये प्रयुक्त होते हैं| कुछ महानुभावों की सूक्ति उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत है| 💐🙏👇👇👇🙏💐 *इस संसार में प्यार करने लायक दो वस्तुएँ हैं-एक दुख और दूसरा श्रम| दुख के बिना हृदय निर्मल नहीं होता और श्रम के बिना मनुष्यत्व का विकास नहीं होता|* —आचार्य श्रीराम शर्मा *बैर क्रोध का अचार या मुरब्बा है|* –आचार्य रामचंद्र शुक्ल *संवेदनशीलता न्याय की पहली अनिवार्यता है|* –कुमार आशीष *शब्द पत्तियों की तरह हैं जब वे ज़्यादा होते हैं तो अर्थ के फल दिखाई नहीं देते|* –अज्ञात *अपने दोस्त के लिए जान दे देना इतना मुश्किल नहीं है जितना मुश्किल ऐसे दो

जय जय हिन्दी के रचनाकारों की सूक्तियाँ

[11/22, 10:50] सरस जी की : सूक्तियाँ 1-सफलता उसी को मिलती है, जो काम करता है | 2-रसिक के लिए रस सर्वत्र स्वयं उपस्थित हो जाता है | 3-वही जाना जाता है, जो कुछ करके दिखाता है| 4-मानव व्यक्तित्व कर्म से निखरता है| 5-मौन रहना भी स्वयं के लिए अन्ततः दुःखद बन जाता है | 6-बड़ा वह है जो छोटों को स्नेह जल से हमेशा सींचकर उनके विकास का मार्ग प्रशस्त करता है | ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 मुक्तक 💐🙏🏻💐 जो सदा करती प्रकाशवान| व्यक्ति को बनाती ज्ञानवान|| है नीति भाव के प्रभाव की| सरस सूक्ति शक्ति है महान|| ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 दिलीप कुमार पाठक "सरस" [11/22, 11:32] भावना शर्मा की सूक्तियाँ जिसने श्री गुरु को स्वयं में उतार लिया, वो कभी रोया नही फिर सफल वही होते हैं जो अपने गुरु के बताए मार्ग पर पूर्ण श्रद्धा भक्ति के साथ निष्काम भाव से , ओर स्वयं को श्री गुरु शरण मे न्योछावर करके , चलते हैं। भावना शर्मा भक्तिराज, श्री गुरु   चरनाश्रित अगर जीवन को सफल बनाना है मोक्ष पाना है, तो सिर्फ श्री सदगुरुदेव के बताए मार्ग पर चलें, उनके द्वारा दिये गुरु मंत्र को जपें , उनके

भगत जी की सूक्तियाँ

🙏    सूक्ति~ 🌸🌸🌸 ०१. परहित में निज वार | ०२. तज स्वारथ की डोर | ०३. उड़ना ज़रूर , पर जड़ मत छोड़ | ०४. कहने से करना श्रेष्ठ है | ०५. वाणी ही वरदान है, वाणी ही अभिशाप | ०६. अपनी जरूरतें कम रखो, सुख बढ़ेगा | ०७. लेना नहीं, देना सीखो | ०८. त्याग में जो सुख है, वह प्राप्ति में दुर्लभ है | ०९. शब्द ईश का रूप है | १०. मौन मृत्यु का प्रतीक है | ११. दु:ख आनंद से डरते हैं | १२. गार्हस्थ्य में निर्लिप्तता ही ईशत्व है | १३. वीरह प्रेम का स्नेहक है | १४. मैं नहीं, तू में; सुख बसता है | १५. पाने को बहुत कुछ है, खोने को बस काल | १६. कण में मण की अनुभूति ही सं-ज्ञान है | १७. यूँ रहे , ज्यूँ आज ही जाना हो | १८. अच्छा न बन सको तो बुराइयाँ त्यागने लगो, अच्छे हो ही जाओगे | १९. समय का दोहन करो | २०. अधर पर मंदस्मित हो | २१. देखें तो बस गुण ही देंखे, दोष छिपे न जग में | 🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀 ©भगत

सोम जी/भुवन/मुन्टुन

       जीवन परिचय """"""""""""""" 1-नाम- शशि रंजन शर्मा "मुन्टुन" 2-पिता- श्री रामाजी शर्मा 3-माता- श्रीमती चन्द्रावती देवी 4-वर्तमान/स्थाई पता- ग्राम+पो0-दोन, थाना-दरौली, जिला-सीवान (बिहार), पिन-841235 5-मो0/वाट्स एप नं.-8809457531 6-ई मेल-muntunkumar99@gmail.com 7-शिक्षा-स्नातक(गणित), बी0एड0 अध्ययनरत 8-जन्म स्थान-द्रोण नगरी दोन 9-प्रकाशन विवरण- काॅलेज पत्रिक एवं संगम संकल्पना पुस्तक (साझा संकलन) में प्रकाशित रचनाएँ 10-रूचि- बच्चो को शिक्षा के प्रति जागरूक करना, समाज सेवा करना एवं कविताएँ लिखना पढ़ना। [11/15, 19:16]             कविता         """"""""" कुछ समझ आता नहीं """""""""'""""""""""""" क्या लिखें इस दौर में हम, कुछ  समझ  आता  नहीं। दोस्त   दुश्मन   बन  गये, ये गम  सहा  जाता  नहीं। क्या लिखें इस दौर में हम, कुछ  समझ 

बृजमोहन साथी जी

[11/14, 21:58] बृजमोहन साथी जी: मुक्तक बहर -221,2122,221,2122 कैसी है प्रीत दिलवर , रहती हो दूर मुझसे । पूछे है आज साथी , कैसा कसूर मुझसे ।। अखियाँ तुझे निहारे , देखे नही पलटकर । दिल ये कसक रहा है  , क्यो दूर नूर मुझसे ।। 💙💙💙💙80❤❤❤💙💙 कवि बृजमोहन "साथी"डबरा [11/14, 21:58] बृजमोहन साथी जी: गीत मापनी-16,14 प्रेम हुआ है जबसे मुझको , खोया खोया रहता हूँ । दिल में आज हिलोर उठे है , गाकर सबसे कहता हूँ ।। प्रेम हुआ........................ जिस दिन से देखा है तुझको, आँखे राह तके तेरी । धड़कन रुक रुक कर चलती है , साँसे आह भरे तेरी ।। अजब कसक दिल में है उठती , पीर प्यार से सहता हूँ । प्रेम हुआ.................।। चाँद लगे रातो में सूना , बदरी पागल रहती है । रातो में बारिश की बूंदे , प्रेम कहानी कहती है ।। बन जाओ साँसो में खुसबू, तुमसे यार महकता हूँ । प्रेम हुआ...............।। मुझसे दूर कभी मत होना , तुम ही मेरी आशा हो । दिल में प्रेम बसाया मेने , उसकी तुम परिभाषा हो ।। तुमको ही चाहा है मेने , सारे जग से कहता हूँ । प्रेम हुआ..................।। मिलन