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Showing posts from May, 2017

भगत जी रसाल छन्द

🙏 पगवन्दन 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 परमादरणीय छन्दर्षि सोमगुरुवर्य जन्मोत्सवस्य सर्मपणम् ♦  रसाल छन्द  ♦ (भगण+नगण+जगण+भगण+जगण+जगण+लघु, ९-१० पर यतिपूर्वक १९ वर्ण प्रति चरण से चार चरण, २-२ चरण समतुकान्त) 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 सोम सुखद गुण धाम, छन्द सब आपहुँ जीवत | शीश वरद  मन  काम, पूर्ण तब  सोमहि पीवत || शील सरल  सुख कार, वास सबके मन आकर | धन्य  भगत  बड़ भाग, आप गुरु  मोर सुधाकर || 🌼🌼🌼♦♦♦🌼🌼🌼 © भगत

आधा ईश्क पुस्तक समीक्षा

कहानी संग्रह - आधा इश्क कहानीकार - अमृत राज प्रकाशन - अयन प्रकाशन मूल्य - ३०० रु. पृष्ठ - १४२          युवा रचनाकार Amrit Raj का कहानी संग्रह ' आधा इश्क ' की चर्चा सुनकर पढ़ने को उत्सुक हो उठी। शीर्षक ही इतना उत्सुकता जगाने वाला था। ये आधा इश्क क्या है ? जानने को मन उतावला हो उठा।चाय के प्याले के साथ सोचा एक कहानी का जायजा लिया जाए। बाकी फुर्सत मिलने पर पढूँगी।          भूमिका में लेखक कहता है कि आधा  इश्क से तातपर्य यह नही कि इश्क अधूरा है, इश्क अधूरा हो भी नही सकता। आधा हो सकता है, पौना हो सकता है, पर यह एक मुकम्मल अहसास है। पढ़ते ही लेखक के विचार ने दिल को छू लिया। कुल सत्रह कहानियों के गुल से सजे गुलदस्ते ने अपनी खुशबू से मन मोह लिया। एक एक कहानी प्रेम के सुकोमल अहसासों को जीती हुई, मानव मन की अतल गहराइयों में डुबोती चली गईं। सोचा था एक ही कहानी पढूँगी, पर पढ़ना शुरू किया तो रख ही नही पाई। एक बैठक में पढ़कर ही रखी। मन इतना भावुक हो उठा कि बयान नही कर सकती। पूरी पुस्तक एक भावभीनी कविता ही है।           पहली कहानी ' रंगसाज ' एक शानदार कहानी है। एक किशोर पेंटर और ह

प्यार के बोल मचले

देखकर तुझको  धड़का यूँ दिल, मन की हलचल तेरे नाम कर दी। आँखों से उसने  इशारे क्या किये, हमने दिल की धड़कन तेरे नाम कर दी। मोहब्बत में तेरी कुछ याद न रहा, मन की मचलन भी तेरे नाम कर दी। इशारे हमें समझ आने लगें, जब  दिल की दस्तक ने, जस्बातें सौगात लिख दी। आखिरी सासों का इन्तजार न करेगें। राह में जो भी आये उससे प्यार करेगें। खेत खेत पर  टहले, हरी घांस पर मचले, नदिया तीरे बच के, मोर नाचता सज के, जाने कैसे बचता, जहाँ भी जाँऊ, खनखत छनछन, पैजनी की खनखन। *लहरों की आवाजें अब,* *मुझको लगती है खनखन।* मधुर मिलन की चाव में, चलो  रे अपने  गाँव  में, उस पीपल की छाँव में, पायल उसके पाँव में।    ✍ डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल 🌹💐🙏🏻🌹💐🙏🏻 तुमसे ही  बात  करूँ, तुम्हारी ही बात करूँ, तुम्हारे सिवा कुछ न याद करूँ, तुम बस जाओ मेरी साँसों में, तुम्हें ही चाहूँ, तुम्हें ही प्यार करूँ।   🙏🏻🌹 साहिल 🌹🙏🏻

शेषराज छन्द

💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐 ◆विद्धुल्लेखा/शेषराज छंद◆ शिल्प:- [मगण मगण(222 222), दो-दो चरण तुकांत,6वर्ण]                   प्रभु की माया देखी तेरी माया, है माया की छाया, बोलो राधे राधे, कान्हा मोहे साधे। माँ गंगा की धारा, तू ही मेरा सारा, तू  है मेरी राधा, मैं हूँ तेरा आधा। कान्हा तो है काला, राधा गोरी बाला, गाना गाओ सारे, प्राणी बोलें नारे। कैसे बीते रैना, मेरे  भीगे  नैना, माता दूरी टारो, पूतों को भी तारो। ✍   डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

सेहत

     हाथ की पांच उंगलिया हमारे हाथ की पांचो उंगलिया शरीर के अलग अलग अंगों से जुडी होती है | इसका मतलब आप को दर्द नाशक दवाइयां खाने की बजाए इस आसान और प्रभावशाली  तरीके का इस्तेमाल करना करना चाहिए | आज इस लेख के माध्यम  से हम आपको बतायेगे के शरीर के किसी हिस्से का दर्द सिर्फ हाथ की उंगली को रगड़ने से कैसे दूर होता है | हमारे हाथ की अलग अलग उंगलिया अलग अलग बिमारिओ और भावनाओं से जुडी होती है | शायद आप को पता न हो, हमारे हाथ की उंगलिया चिंता, डर और चिड़चिड़ापन दूर करने की क्षमता रखती है | उंगलियों पर धीरे से दबाव डालने से शरीर के कई अंगो पर प्रभाव पड़ेगा | *1. अंगूठा* *– The Thumb* हाथ का अंगूठा हमारे फेफड़ो से जुड़ा होता है | अगर आप की दिल की धड़कन तेज है तो हलके हाथो से अंगूठे पर मसाज करे और हल्का सा खिचे | इससे आप को आराम मिलेगा | *2. तर्जनी* *– The Index Finger* ये उंगली आंतों  gastro intestinal tract से जुडी होती है | अगर आप के पेट में दर्द है तो इस उंगली को हल्का सा रगड़े , दर्द गयब हो जायेगा। *3. बीच की उंगली* *– The Middle Finger* ये उंगली परिसंचरण तंत्र तथा circulation system स

मेरे लिए बधाई, आ• कैलाश जी द्वारा

आद0 साहिल जी उत्तम रचना है आपकी "मन पर तमाचा" सच में आज की राज व्यवस्था, नारी चित्कार, गरीबी, फूहड़ गानें, गंदे चित्र यह सब हमारे मन पर तमाचा नहीं तो और क्या है। आद0 आपने अपनी रचना के माध्यम से सोई आत्मा को जगाने का उत्तम प्रयास किया है। सच को उघाड़ती रचना। नमन आपकी लेखनी को 💐💐💐💐💐💐💐💐💐 आद0 साहिल जी माँ की ममता के साये में बीते अनमोल पल, माँ की अंगुली पकड़कर बिताये अनमोल पल, बचपन की याद दिलाती सुंदर भावपूर्ण रचना। बधाई हो। 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐            भूख भूख क्या है भूख के लिए संघर्ष गरीबी की तस्वीर एवं भूख का एहसास करती उत्तम मार्मिक रचना। जो सहज ही आपके गरीबों के प्रति प्रेम को उजागर करती है। उत्तम भाव। नमन आपकी सोच को।            "रिश्ते" आद0 दुखती रग पर आपने हाथ रख दिया अपनी इस रचना में ये पंक्तियाँ देखिये भूल गये सब रिश्ते नाते, इतना व्यस्त हुआ जीवन। सच कितना व्यस्त जीवन हो गया। आगे देखिये मधुर मिलन की बरसते, मित प्रीत का वन्दन है। सच में वंदनीय है वे लोग जो रिश्तों को निभाते है। उत्तम भाव रिश्तों में दूर हुए साथियों की याद दि

मेरे लिए बधाई, इन्दु दीदी द्वारा

राहुल भाई ने लिखी, रचनायें बहुत विशेष। जैसे जैसे पढ़ती हूँ मैं, लगे एक से बढ़ एक। "मन पर तमाचा"भूख" "अनमोलपल" पायल" "समय बड़ा  बलवान" "रिस्ते" सनातन धाम" "आओ   यजन  करें" "जीवन के  चार दिन" "चिट्ठी पत्री"समर्पण" "रिस्ते"  और  "क्षमा"  रचना  लिखी  आपने, जिसमें भर दिया सार। धेर्य विवेक के हो धनी, अच्छे हो साहित्यकार। लिखे  लेखनी  आपकी, रचनायें  धर  मन  ज्ञान। राहुल भाई बस आपका, हर पल हर दिन सम्मान। राहुल भाई आपको बहुत बहुत बधाई। आप इसी तरह साहित्य सेवा   कर हमारा भी मार्ग दर्शन करते रहें।  आपकी लेखनी नित    नई रचनायें लिखती रहे यही मेरी शुभ कामना है।            हार्दिक बधाई इन्दु शर्मा तिनसुकिया असम

विजोहा छन्द

[1]      卐 विजोहा छंद 卐 विधान~ [रगण  रगण ] (212  212) 6वर्ण,4 चरण, दो-दो चरण समतुकांत] चाह की लेखनी। राह की लेखनी । बात की लेखनी । साथ की लेखनी बोलती लेखनी। भाव की लेखनी।।  सार हो लेखनी। धार हो लेखनी।।  याद की लेखनी। गूँजती लेखनी।। ताल है लेखनी। काल है लेखनी।।    ओम के जाप से। दूर हों  पाप से।। ओज भी लेखनी। सोम की लेखनी।। ✍ डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल [2]   卐 विजोहा छंद 卐 बीतती  रात है। प्रेम की बात है।। रीत है जीत की। प्रीत है मीत की।। बोल हैं नेह के। मोल है मेल के।। खेल है वेश का। लेख हो देश का।। ✍ डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

साहित्यमेध (डाॅ• राहुल शुक्ल) समीक्षा

🙏🏻💐जय माँ शारदे💐🙏🏻 प्रथम पाली की समीक्षा समीक्षक - तेज राम नायक नेक विषय - साहित्यमेध(आ0 डॉ0 राहुल शुक्ल साहिल जी) सर्वप्रथम आ0 साहिल दादा को साहित्यमेध के लिये हार्दिक बधाई... . 💐💐💐💐💐💐      दादा मैंने आपकी सभी रचना पढ़ी सब एक से बढ़कर एक हैं, आपकी लेखनी को नमन, आपकी लेखनी अनवरत यूँ ही चलती रहे। 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻      प्रस्तुत है प्रथम पाली की समीक्षा - रचना क्र0 - 01 रचनाकार - आ0 छाया सक्सेना प्रभु जी     डाॅ . राहुल शुक्ल 'साहिल' जी द्वारा रचित साहित्यमेध की सभी रचनाएँ समाज में चेतना फैलाने का कार्य बख़ूबी कर रही हैं, आप सकारात्मक विचारों से ओत- प्रोत रचनाएँ ही हमेशा लिखते हैं   " समर्पण " शीर्षक से लिखी आपकी यह रचना भाव व शिल्प दोनों ही दृष्टि से लाजवाब है । कविता की हर एक पंक्ति अपना संदेश दे रही है , समर्पण भाव की कमी ही हर मुद्दे की जड़ है, जिस दिन जनमानस में यह भाव जागृत हो जायेगा ,यह धरा पुनः सोने की  चिड़िया बन जायेगी । आपके उज्जवल साहित्यिक भविष्य हेतु हार्दिक शुभकामनाएँ । छाया सक्सेना ' प्रभु ' समीक्षात्क टिप्पणी - आ0 छाया

चित्रपदा छन्द (माँ)/ राम

♢ चित्रपदा छंद♢ विधान~ [ भगण भगण गुरु गुरु ] (211    211   2   2) 8वर्ण,4 चरण, दो-दो चरण समतुकांत]            माँ  मात बड़ी अनुरागी। जीवन सार सुरागी।। कष्ट सभी कट जाते। नेह दया हम पाते।। रोग बला सब जाये। माँ  वरदान सुहाये।। आँचल लागत प्यारा। माँ ममता हि सहारा।। मोहत  पालत  माता। जीवन भाग विधाता।। मानत पूजत दाता। वंदन फूल सुहाता।   ✍ डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल विधा- ◆चित्रपदा छंद◆ विधान~ [ भगण भगण गुरु गुरु ] (211    211   2   2) 8वर्ण,4 चरण, दो-दो चरण समतुकांत]           राम राम लला वनवासी। नाम हरी घट वासी।। भाव दया मन आवै। मोह मया जन जावै।। भावत शील प्रकाशा। कारज कर्म विकासा।। तेजस हो  तन कामा। ओजस है प्रभु नामा।। ✍ डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैसा खुले। उदाहरण  - *आ* ४. *अर्ध विवृत्त* - मुँह गोलाकार से कुछ कम खुले। उदाहरण - अ, ऐ,औ     🙏🏻 जय जय 🙏🏻 [20/03 23:13] अंजलि शीलू: *वर्ण माला कुल वर्ण = 52* *स्वर = 13* अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अब *व्यंजन = 37*         *मूल व्यंजन = 33* *(1) वर्गीय या स्पर्श वर्ण व्यंजन -*    क ख ग घ ङ    च छ ज झ ञ    ट ठ ड ढ ण    त थ द ध न    प फ ब भ म      *25* *(2) अन्तस्थ व्यंजन-*      य, र,  ल,  व  =  4 *(3) ऊष्म व्यंजन-*      श, ष, स, ह =  4   *(4) संयुक्त व्यंजन-*         क्ष, त्र, ज्ञ, श्र = 4 कुल व्यंजन  = 37    *(5) उक्षिप्त/ ताड़नजात-*         ड़,  ढ़         13 + 25+ 4 + 4 + 4 + 2 = 52 कुल [20/03 23:14] अंजलि शीलू: कल की कक्षा में जो पढ़ा - प्रश्न - भाषा क्या है? उत्तर -भाषा एक माध्यम है | प्रश्न -भाषा किसका