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विसर्ग संधि (नियम 1/2/3/4/5/6/7/8)

   विसर्ग सन्धि ~

अर्थात् ~
      : + स्वर = विसर्ग संधि
      : + व्यंजन = विसर्ग संधि
(1)    पहला नियम ~

विसर्ग पूर्व में स्वर अ हो पीछे य ,र ,व और  ह  हो,
या वर्ण वर्ग का 3 से 5 हो तो विसर्ग युत अ  का ओ हो।  

उदाहरण देंखे ~

मन: +रथ
   अ:+र
     |
अ: को ओ तो  मनोरथ हुआ।

अधोहस्ताक्षर = अधः + हस्ताक्षर
यशोदा = यशः + दा 
मनोभाव = मनः + भाव
सरोरूह = सरः + रूह
पयोहारी = पयः + हारी
रजोगुण =  रजः+ गुण
तिरोभाव = तिरः + भाव
मनोयोग = मनः + योग
वयोवृद्ध = वयः + वृद्ध 
धनोमान = धनः + मान 
पुरोवाच = पुरः + वाच

कुछ संधि-पद ~

१. मन:+ रोग = मनोरोग

२. सत:+ गुण = सतोगुण

३. धन:+ धान = धनोधान

४. यश:+ धरा = यशोधरा

५. पुर:+ हित = पुरोहित

   
 (2)    दूसरा नियम ~

विसर्ग पूर्व में स्वर अ हो, पीछे स्वर दूजा आ जाये |
विसर्ग लुप्त हो पद मिल जाते, ज्ञानी ऐसा बतलाये ||

अर्थात~~~

अ:+अन्य स्वर = विसर्ग का लोप

उदाहरण ~
तप: + उत्तम = तपउत्तम

१. मन:+उच्छेद= मनउच्छेद
२. तप:+आधान=तपआधान
३. पुर:+उवाच=पुरउवाच

विच्छेद करें~

१. रजआधार= रजः + आधार
२. सर्वउत्तम= सर्वः + उत्तम
३. उत्तमउत्तम= उत्तमः + उत्तम
तो ये लीजिए~~~

संधि-पद बनाएँ~~~

१. धन:+औषध= धनऔषध
२. गुण:+आधार= गुणआधार
३. मन:+इच्छा=मनइच्छा

संधि-विच्छेद करें~~~

१. मनअंकुर= मनः+अंकुर
२. पुरआगम= पुरः+ आगम
३. वरऔषधि= वरः+औषधि

  
(3)    तीसरा नियम ~

विसर्ग पूर्व में स्वर  अ हो पीछे भी स्वर  अ  आवे विसर्ग युक्त  अ,  ओ  हो जाता, पिछला अ खुद लुप्तावे।

अर्थात्~
अः + अ =  ओ

उदाहरण देंखे~~~

मन:+अनुसार
   अ:+अ
    |     |
  ओ   ×
मनोनुसार

राहुलः+अरुण = राहुलोरुण
संजीतः+अभिषेक = संजीतोभिषेक
शिवः +अहम् = शिवोहम्
वेदः+असि ÷ वेदोसि

 विसर्ग संधि

(4)    चौथा नियम  ~

विसर्ग पूर्व में स्वर इ-उ हो, पीछे अन्तस्थ या स्वर आय |
या वर्ण वर्ग का ३ से ५ हो, तो विसर्ग हल र् हो जाय ||

अर्थात~

इ:\उ:+अन्तस्थ (य,र,ल, व) , कोई स्वर, वर्ग का ३,४,५वाँ वर्ण=  : का हल र्

उदाहरण  ~

नि:+ मल =निर्मल
निर्बल = निः + बल
दुर्गुण = दुः + गुण
दुर्दशा = दुः + दशा
बहिर्मुख = बहिः+ मुख
निर्दय= निः + बल

अन्य उदाहरण ~

१. निर्यात = निः + यात

२. दुराचार = दुः + आचार

३. निर्मम = निः + मम

४. दुर्विकार =  दुः+ विकार

५. निर्मोही =  निः+ मोही

६. दुर्लभ = दुः + लभ

७. निराकांक्षा =  निः+ आकांक्षा 

८. दुराग्रह = दुः  + आग्रह

९. दुरतिदर्शन = दुः+ अतिदर्शन

      जय जय

  विसर्ग संधि

(5)  पाचवाँ नियम ~ ~

अंतः अरु पुनः के बाद य, र, ल, व या स्वर आए।
या वर्ण वर्ग का तीन से पाँच हो, तो विसर्ग हल र् हो जाए।

उदाहरण ~~~

१. अन्त:+ इक्ष
          |
          र्
=अन्तरिक्ष

२. पुन:+ विवाह
        |
       र्
=पुनर्विवाह

अन्य उदाहरण ~ संधि विच्छेद

१. अन्तर्राष्ट्रीय = अन्तः राष्ट्रीय
२. अन्तर्देशीय = अन्तः देशीय
. अन्तर्जाल = अन्तः + जाल
४. पुनर्निर्माण = पुनः + निर्माण
५. पुनर्भाव = पुनः + भाव
६. पुनर्मतदान = पुनः + मतदान

अन्य उदाहरण ~ संधि पद ~

१. अन्त:+ धान = अन्तर्धान
२. पुन:+ बलन = पुनर्बलन
३. पुन:+ गमन = पुनर्गमन
४. अन्त:+ मन = अंतर्मन
५. अन्त:+ लीन = अन्तर्लीन
६. पुन:+ गणना = पुनर्गणना

  विसर्ग संधि

(6)     छठवाँ नियम ~ ~

विसर्ग बाद में च\छ हो तो, विसर्ग स्वयं आधा श् शिव हो |

यानि~ : + च\छ=  :  का आधा श् शिव वाला

{ध्यान रहे कि : से पूर्व कोई न कोई स्वर अवश्य होगा | यहाँ नहीं बताया गया तो इसका अर्थ है कि कोई भी स्वर हो सकता है |}

उदाहरण ~

१. नि:+चय
       |
       श्
निश्चय

२. नि:+छल
       |
      श्
निश्छल

उदाहरण ~ विसर्ग संधि नियम -6

संधि -पद निर्माण करें~

१. मन:+ चिकित्सा = मनश्चिकित्सा

२. अन्त: + चेतना = अंतश्चेतना

विच्छेद करें~~~

१. निश्चय = निः + चय 

२. पुनश्चरण = पुनः + चरण
अन्य उदाहरण ~
१. दु:+छात्र = दुश्छात्र

२. एक:+छत्र = एकश्छत्र

विसर्ग संधि ~

 
(7)   साँतवा नियम ~ 

विसर्ग बाद में त\थ हो तो, विसर्ग स्वयं आधा स् सच हो | 

यानि~ : + त\थ=  :  का स् सच वाला

जैसे~

वि: + तार
   |
  स्

विस्तार

विसर्ग संधि

यानि --

: + त/थ  = : का आधा स  संजीत वाला

दु: + तर =  दुस्तर
|
|
स्

   तो ये रहे सवाल ~

१. वि: + थापन = विस्थापन

२. दु: + थकार = दुस्थकार

३. विस्थापित = विः + थापित

४. दुस्तारक = दुः+ तारक

(8) आँठवा नियम ~

विसर्ग पूर्व में छोटा इ, उ पीछे व्यंजन र आवे, विसर्ग लुप्त हो छोटे इ, उ अपनी जगह बड़े हो जावे।

अर्थात ~ इः/ उः+ र = ई/ऊ

एक उदाहरण देंखे~

नि:+रोग
   ×
न् में इ का ई=नी

तो =  नीरोग  होगा सही शब्द😊🙏

(हम निरोग का प्रयोग कर सही मानते रहे)

यानि~

   : + श\ष\स=
(दो तरह से संधि-पद बनेगा)
१.  स्वत: जुड़ें ~

२.  :   का पीछे वाले श\ष\स से जो भी हो उसी के हल में परिवर्तन

उदाहरण ~

नि:+संदेह= १. नि:संदेह
                 व
   नि:+संदेह
     |
   स् (पीछे स होने से स का आधा स्)
२.   निस्संदेह

चूँकि संधि विकार पर ही स्वीकृत है अत:   निस्संदेह  सही का पहला विकल्प होगा व  नि:संदेह सही का दूसरा विकल्प)

   दोनों प्रकार से शब्द की सिद्धि

१. नि:+शुल्क-निःशुल्क/निश्शुक

२. दु:+साहस-दुःसाहस/दुस्साहस

३. दु:+शंका-दुःशंका/दुश्शंका

४. नि:+सार-नि:सार/निस्सार

५. दु:+शासन-दुःशासन/दुश्शासन

    जय जय

Comments

  1. नमन /मनीषा संधि विच्छेद

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    Replies
    1. ये किस नियम से होगा बता सकते है आप

      Delete
  2. दुकान में संधि कौन सी है

    ReplyDelete
  3. अहोरात्र का अह:+रात्र क्योंकि विषर्ग से पहले अ आये और पीछे र आये तो विषर्ग ओ में बदल जाता है जैसे
    अहोरुप अह:+रूप

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    Replies
    1. पहला नियम पहले पूरा पढ़ लें, उसमें भी यही लिखा है|
      विषय वस्तु पूरा पढ़कर, समझना और मनन करना चाहिए|
      नमस्कार डॉ० राहुल शुक्ल

      Delete
  4. कहो तो प्रूफ भेज दु

    ReplyDelete
    Replies
    1. पहला नियम पहले पूरा पढ़ लें, उसमें भी यही लिखा है|
      विषय वस्तु पूरा पढ़कर, समझना और मनन करना चाहिए|
      नमस्कार डॉ० राहुल शुक्ल

      Delete
  5. निर्माण का संधिविच्छेद क्या होगा?

    ReplyDelete
  6. उद उपसर्ग माने या उत

    ReplyDelete
  7. नमन का संधी

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  8. जसो+अन्त= क्या बनेगा सर बताओ
    यह सन्धि सही है क्या

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