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Showing posts from September, 2016

हिन्दी/ नागरी का उत्थान

09/09/2016     💐नागरी का उत्थान💐 हिन्दी का उत्थान देव नागरी भाषा से,  राह बनेगी सब आसान, मेल भाव की भाषा से, लिखो आज भाषा इतिहास, देव नागरी भाषा से, जन जागे तब मन जागे, मन से तेरा तन जागे,  रूके नही अब भाषा प्रेम,  आत्मसात हो जाती है, जल्द प्रेम उपजाती है, बिगड़े रिश्ते बनाती है, रीति रिवाज सिखाती है, भाषा में ही शक्ति है, देवनागरी भक्ति है, देव स्वरूप जन जन रूप,  भाषा उत्थान कराती है, लेखनी समाज बनाती है, करें हिन्द को जागरूक, करें हिन्दी प्रयोग, जय हिन्द जय भारत,  हिन्दूस्तान सेवारत, भाषा का ज्ञान,  नागरी में लिखें और पढ़ाये, लेखन से नव आवाहन जगाये। डाॅ• राहुल शुक्ल      साहिल

साहित्य समाज का दर्पण

        डाॅ• राहुल शुक्ल                                       08/09/2016  ☆साहित्य समाज का दर्पण ☆ बदल सकते हैं हम मन की तस्वीर को, रोक सकते है समाज के व्यभिचार को, सद्गुण सद्विचार है दर्पण इन्सान का, बदलें साहित्य से मनुज के व्यवहार को। व्यक्तित्व सँवारकर बदलें मन विकार को, बदलें हम चल पड़े परिवार के निर्माण को, मेल हो मिलाप हो विचारों की भाप हो, संस्कार परिवर्तन से रोक दें संताप को । नीति में रणनीति में कौशल जगे रीति में, कला में विज्ञान में साहित्य के संसार में, बालक भी सीखे कविता से पाठ को, पट खोल मन दर्पण शक्ति रक्त संचार में। दर्पण न दिखाता मन के विचार को, मन भी न बताता हमारे आगार को, लगें दिल में साहित्य का दर्पण, तब हटा पायें आत्मा के गुबार को । हिन्द की हिन्द भाषा बोलो जी जान से, बदलों पुराने दर्पण जीओ अब शान से, रच दो दिखा दो दर्पण अब समाज को, युग परिवर्तन सम्भव सृजन से गान से । खुद को बदल लें तब देखें अनाचार को, दर्पण न दिखाता हृदय के भार को, धुंधली सी परत विकृत मानसिकता, दर्पण साहित्य का दिखा दों संसार को।        डाॅ• राहुल शुक्ल 'साहिल'

वन्दना

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 💐🌹💐🌹💐🌹💐 वन्दन हो वन्दना निराकार ब्रम्ह की, अद्भुत हो अनुपम काव्य छन्द भी, आकाश पर संगम विचार एक से, अटूट हो अटल हो विश्वास एक से, आदि हो अन्त हो आकार एक से, संगम सृजन का सुविचार विषय से, साक्षी विश्व हो निर्विकार हृदय से, सुबह का शाम का स्वीकार नमन हो, रचना से समाज में साकार स्वप्न हो।      डाॅ• राहुल शुक्ल         धन्यवाद           आभार 🙏🏻🌹👌�🙏🏻💐🌹

प्रसंग प्रेरणा

             ॐ卐 प्रसंग   प्रेरणा  卐ॐ एक बार एक आदमी गृहस्थ जीवन से परेशान होकर एक महात्मा जी के पास पहुंच गया। उनके सानिध्य में रहने लगा।उसने महात्मा जी से पूछा कि इतना दुख क्यों है गृहस्थ जीवन में मैंने तो किसी का दिल नही दुखाया और अपना कर्तव्य पालन करता रहा फिर भी परिवार जनों की अपेक्षाए मुझसे बढती गयी जो दुख का कारण बनती है। महात्मा जी ने सुन्दर उत्तर दिया, देखो भाई दुख तो सब जगह है और सुख भी सब जगह है बस हमें अपनी सोच बदलनी होती है, अपेक्षाए तो मानव जीवन में रहती ही है बस अनावश्यक नही होनी चाहिए गृहस्थ जीवन यही तो सिखाता है कि जिसमें हमें प्रेम है वह हमारी अपेक्षाओं औल जरूरतों के लिए बहुत परेशान न हो या हम भी उसकी मदद करें । दुख के बाद सुख तो आता ही है। काली रात के बाद प्रकाशवान सुबह आती ही है। प्रकृति के नियम सर्वोपरि है।तुम मेरे पास भी तो अपेक्षाओं से ही आये हो क्या परिवार जनों का प्रेम लगाव और अपेक्षायें आपके प्रति यहाँ आने से समाप्त हो गई,  नही ? महात्मा जी की बात सुनकर उसको अपने परिवार की याद आने लगी और वह फिर से घर चला गया और खुशी से रहने लगे ।                   धन्यवा

हिन्दी भाषा अभियान

ॐ☆○卐ॐ☆卐☆ॐ卐○☆ॐ नवल हम हिन्दी का विकास रचेगें, नव सृजन का इतिहास रचेगें, आयेगी फिर जो रात, तो नव प्रकाश  रचेगें। नूतन का सुमन का आभास रचेगें, कविता सागर की आस रचेगें, भावों का मरूस्थल पर, अभिनव मधुहास रचेगें। सरिता का मिलन कुछ खाश रचेगें, साहित्य धरा पर मधुमास रचेगें, हो संगम सब सृजन का नवल प्रतिभास रचेगें।                    डाॅ• राहुल शुक्ल                   साहिल

हिन्दी राष्ट्र भाषा अभियान

🌷हिंदी राष्ट्रभाषा अभियान🌷 हिंदी हमारे भाव, मन व हृदय की आत्माभिव्यक्ति का माध्यम है। भाषा की उच्चता पर ही मानव मात्र व समाज का कल्याण निर्भर है। हिन्दी मात्र हमारी मातृभाषा बनकर रह गई है । इसे वो सम्मान व ख्याति नहीं मिल रही जिसकी यह अधिकारिणीं है। हिन्दी भाषा को राष्ट्र भाषा बनाने के अभियान में कुछ निम्नलिखित बिन्दु सहायक हो सकें ऐसी कामना के साथ हिन्दी भाषा को आत्मसात करते हुये मुझे भारतेन्दु जी कुछ पंक्तियाँ याद आ गयी। 'निज भाषा उन्नति अहे   सब उन्नति के मूल' ○ हिन्दी भाषा के उत्थान एवं अक्षुण्यता के लिए हमें अपने आप से ही शुरूआत करनी चाहिए।आपसी बोलचाल व लेखन में अपनी मातृभाषा का अधिकतम प्रयोग करना चाहिए। ○ केन्द्रीय एवं राज्य सरकार के विभागों, कार्यालयों के कामकाज में सम्पूर्ण रूप से हिन्दी का प्रयोग होना चाहिए। ○ सरकारी कार्यालयों के प्रचार, प्रसार, बैनर, आदि में हिन्दी भाषा का प्रयोग होना चाहिए। ○ प्रत्येक  कार्यालय, कार्पोरेट, और निजी संस्थानों में अधिकतम हिन्दी का प्रयोग होना चाहिए। ○ प्रत्येक सी•बी•एस•ई एवं आइ• सी• एस• ई• बोर्ड के विद्यालयों में भी हिन्द