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Showing posts from March, 2016

होली मुबारक ।

फूलों की रंगत, पौधौ की संगत, होली के मिलन में, दिलदारों की पंगत।                          प्रेम पथ विस्तार, मिलन के आसार, देखे  हैं  कलियाँ, फूलों का  प्रसार । नीला आसमान, सूरज उदयमान, इन्द्रधनुषी  रंग, हरियाली एक समान । हवाओं की बहार,             प्रकृति में सम्पदा अपार, मुबारक आप सब को, रंगो का त्योहार ।                                 आप सभी बन्धुओं एवं बहनों को होली का त्योहार स्वास्थ्यपूर्ण एवं अतिशुभ हो। डाॅ राहुल शुक्ल होम्योपैथिक चिकित्सक 302/4 शिवकुटी ,तेलियरगंज,इलाहाबाद ,

पावन पर्व मनाइए !

साक्षरता का पाठ पढ़ाकर,   जीवन सफल बनाइऐ  ,   मिले आशीष सबका,     बुराई  मिटाइऐ ।    पुष्प समर्पित देवों को ,      हर्षोल्लास मनाइए,      भौरों की गुन्जन सा,       मधुर संगीत बनाइऐ ।      पढ़े  ज्ञान  विज्ञान ,      तकनीकी  बढ़ाइऐ, शिक्षित हो समाज हमारा,      विवेक  फैलाइऐ । शुध्द खाएँ और सुखी रहे ,     पावन पर्व मनाइए, अंधेरा मिट जाए दिल से,    स्नेह  प्रकाश  फैलाइऐ ।      हम बदलेंगे, सब बदलेंगे,          कुरीति  भगाइऐ ,        मिट जाए अनाचार,        मन  पावन बनाइऐ ।   - डाॅ राहुल शुक्ल

प्रेम रंग होली है ।

रंग से रंग मिलाना, होली है ।            मन से मन मिल जाना, होली है,                  रहे न कोई  भेदभाव,           रूठे दिलों को मिलाना, होली  है ।         बिछड़ों को मिलाना होली  है ,          प्रेम सद्भाव जगाना होली है ,                मन में न बैर कोई,     दिल से दिल का मिल जाना होली है।    अन्तर्मन को जगाना होली है, उल्लास  प्रसन्नता फैलाना होली है,   नशा धूम्र से बचो और बचाओ,   स्वच्छ समाज बनाना होली है ।              रोगों से मुक्त काया,        स्वस्थ  शरीर बनाना होली है ,     किसने सजायी ये कुदरत निराली ,   सब रंगो से सजी दुनिया अलबेली है। बच्चों की अठखेली, यारों की हमजोली है।     हरियाली पीले लाल रंगो की होली है ।                 मिट  जाए बैर भाव ,                   प्रेम  रंग होली है ।        श्वेत पीत पर , रंगों की फुहार,      कृष्ण संग राधा , राधा संग प्यार, निस्वार्थ भाव प्रेम ही, सचमुच की होली है।                                     फूलों की रोली,                 तितलियों की टोली,                  भौरों की मधूलिका,                     प्रे

संगम पर्व मनाऐगें ।।

सरस्वती त्रिपथगा यमुना,     संगम  पर्व  मनाऐगें, दर्शन अमृतपान कराकर, सभी जन्म  तर  जायेगें ।                  अर्ध्द कुम्भ हो महा कुम्भ हो,                       माघ  मास का  मेला,                     ज्ञान की  देवी  सरस्वती,                        संगम  हम  बनायेगें। पावन प्रयाग की पावन गंगा,     पावन  पर्व  मनायेगें, रोग मुक्त हो जाये हम सब,      गंगा  में  नहायेगें।                   जलवायु समाहित प्राणवायु,                        महिमा खूब बतायेगें,                       भक्ष रोगाणु गंगाजल से,                      स्वस्थ  समाज  बनायेगें।     गोमुख  गंगोत्री  गंगा,     पंच  प्रयाग  बनायेगें, मिलकर जन सब सभी प्रदेश,       एकता  निभायेगें ।                 भूमि उर्वरा मृदा सम्पन्न,                    गंगा स्वच्छ बनायेगें,                   प्रण लें  गंगा  मैय्या से,                  फूल चढ़ावा और गन्दगी,                    मिट्टी  में  मिलायेगें।                  गंगा स्वच्छ बनायेगें, संगम  पर्व  मनाऐगें ।।                    डाॅ राहुल शुक्ल 302/4 श

शिक्षा एवं स्वास्थ्य व चिकित्सा संसाधन !

            सभी जीवों में सर्वश्रेष्ठ मनुष्य की उपयोगिता समाज के लिए सर्वविदित है। अपनी मानसिक शक्ति, समन्वय की भावना एवं आत्मिक शक्ति के बल पर मनुष्य अपना एवं अन्य जीवों का सर्वाधिक लाभ कर सकता है। मनुष्य या बालक/बालिका के जन्म से ही संस्कार, स्वास्थ्य व शिक्षा का उनके जीवन काल पर विशेष प्रभाव पड़ता है और उससेही सामाजिक नागरिकता एवं जीवन यापन का क्रम शुरू होता है। शिक्षा ऐसा साधन है जिससे मनुष्य अपने संस्कारों एवं जन्मों के गुणों/अवगुणों को परिमार्जित कर सकता है तथा आत्म परिष्करण के साथ-साथ परिवार, सामाज, देश एवं मानव जाति का परिष्कार कर सकता है। वेदों में वर्णित जो मनुष्य/प्राणी शरीर को बनाने के लिए 5 पाँच तत्व उत्तरदायी है, वह निम्न है।     (1)    आकाश     - व्यवहार व मानसिक शक्ति को प्रदर्शित करता है।     (2)    वायु     - जीवों/मनुष्यों के लिए ऑक्सीजन या प्राण वायु।     (3)    अग्नि     - तापमान/शीत, भूख, पाचन आदि।     (4)    पृथ्वी     - भूमि से वनस्पति, खनिज, भोजन प्राप्त होता है तथा मानव शरीर की कोशिका का                    निर्माण होता है।     (5)    जल     - सभी सजीवों के लि